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शिवपाल की सपा में वापसी का रास्ता साफ, भतीजे अखिलेश के नेतृत्व को चाचा ने स्वीकारा

शिवपाल यादव की सपा में वापसी का रास्ता भी बनता दिख रहा है. सपा ने एक ओर जहां शिवपाल यादव की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की याचिका वापस ले ली है, तो वहीं शिवपाल ने अखिलेश यादव को चिट्ठी लिखकर आभार जताया है. साथ ही शिवपाल ने अखिलेश यादव के नेतृत्व की भी सराहना की है.

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अखिलेश यादव और शिवपाल यादव
अखिलेश यादव और शिवपाल यादव

  • 2020 के चुनाव से पहले मुलायम कुनबा क्या एक हो जाएगा
  • शिवपाल की वापसी का रास्ता साफ होता नजर आ रहा

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच कड़वाहट अब दोस्ती में तब्दील होती दिख रही है. शिवपाल की सपा में वापसी का रास्ता भी बनता दिख रहा है. सपा ने एक ओर जहां शिवपाल यादव की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की याचिका वापस ले ली है, तो वहीं शिवपाल ने अखिलेश यादव को चिट्ठी लिखकर आभार जताया है.

शिवपाल यादव ने 29 मई को सपा प्रमुख को पत्र लिखकर विधानसभा से सदस्यता रद्द करने की अर्जी वापस लेने पर न सिर्फ अखिलेश यादव का धन्यवाद किया बल्कि उनके नेतृत्व पर भी आस्था जताई है. शिवपाल ने लिखा है कि निश्चय ही यह मात्र एक राजनीतिक सामान्य घटना नहीं है, बल्कि आपके इस तरह के स्पष्ट, सार्थक और सकारात्मक हस्तक्षेप से राजनीतिक परिधि में आपके नेतृत्व में एक नए राजनीतिक विकल्प और नवाक्षर का जन्म होगा.

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whatsapp-image-2020-06-08-at-15_060820033631.jpegशिवपाल ने अखिलेश को लिखा पत्र

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दरअसल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मुलायम कुनबे में वर्चस्व की जंग छिड़ गई थी. इसके बाद अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी पर अपना एकछत्र राज कायम कर लिया था. अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच गहरी खाई हो गई थी. 2017 के चुनाव के बाद शिवपाल ने सपा से अलग प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन कर लिया था.

शिवपाल के अलग पार्टी बनाने के बाद समाजवादी पार्टी के नेता रामगोविंद चौधरी ने चार सितंबर, 2019 को दल परिवर्तन के आधार पर शिवपाल यादव की विधानसभा से सदस्यता समाप्त करने की याचिका दायर की थी. लेकिन सपा ने 23 मार्च 2020 को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर शिवपाल यादव के खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्रवाई करने की याचिका वापस लेने की मांग की थी, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने उसे स्वीकार करते हुए याचिका को वापस कर दिया. इसके बाद शिवपाल की विधानसभा सदस्यता खत्म होने से बच गई है.

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सपा की याचिका वापस लेने के बाद अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच दुश्मनी की बर्फ पिघलने लगी है. हाल ही में आजतक के ई-एजेंडा कार्यक्रम में जसवंतनगर सीट से सपा के चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल के साथ रिश्ते सुधारने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया है. यही वजह है कि अब शिवपाल यादव ने भतीजे के नेतृत्व को स्वीकार कर लिया है.

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बता दें कि लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार और बसपा अध्यक्ष मायावती के गठबंधन तोड़ने के बाद से अखिलेश यादव के सामने अपनी पार्टी को बचाए रखने की बड़ी चुनौती है. एक-एक कर सपा नेता साथ छोड़ते जा रहे हैं. पिछले दिनों कई राज्यसभा सदस्यों ने सपा का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है. वहीं, शिवपाल यादव भी सपा से अलग होकर अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास कर चुके हैं. यही वजह है कि अखिलेश और शिवपाल के बीच जमी कड़वाहट की बर्फ पिघलती नजर आ रही है.

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