मुजफ्फरनगर दंगों को समाप्त हुए चार महीने बीत चुके हैं, लेकिन राजनीतिक गलियारे में इसकी चर्चा आज भी जारी है. ज्यादा दिन नहीं हुए जब राहत शिविरों में बदतर व्यवस्था को लेकर यूपी सरकार की भद पिटी. वहीं अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने 24 पन्नों की एक पत्रिका के जरिए अखिलेश सरकार को निशाना बनाया है. 'मुजफ्फरनगर दंगा' नाम की इस पत्रिका में संघ ने उन दो जाट युवकों का पक्ष लिया है, जिनके कारण कथित तौर पर दंगा भड़का था.
गौरतलब है कि सचिन और गौरव वही युवक हैं, जिन्होंने बहन से छेड़छाड़ करने पर एक मुस्लिम युवक की हत्या कर दी थी. बाद में इन दोनों युवकों की भी हत्या कर दी गई थी. पत्रिका ने अपने संपादकीय में लिखा है, 'कोई भाई अपनी बहन के साथ अपमान को कैसे बर्दाश्त कर सकता है?' इस संपादकीय के साथ ही दोनों युवकों की तस्वीर भी छापी गई है. हालांकि संपादकीय लिखने वाले का नाम या हस्ताक्षर प्रकाशित नहीं किया गया है.
पत्रिका में सपा पर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाते हुए लिखा गया है, 'सपा सरकार को संभवत: यह डर है कि यदि मुस्लिम नाराज हो गए तो वह सत्ता खो देगी. इसलिए अखिलेश सरकार ने मुस्लिम दंगा पीड़ितों को पांच लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की.'
'सिर्फ दंगों की सच्चाई सामने लाना चाहते हैं'
पत्रिका में संपादक या किसी अन्य का नाम न होने पर जब अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने प्रकाशित पता 'विश्व संवाद केंद्र, 105, आर्य नगर, सूरज कुंड रोड, मेरठ' पर संपर्क किया तो संघ के प्रचारक शिवप्रकाश ने कहा, 'यह पत्रिका मेरठ प्रांत के संघ कार्यकर्ताओं द्वारा निकाली गई है. इसका एकमात्र उद्देश्य समाज को जागरुक करना और दंगों के बारे में लोगों तक सच्चाई को पहुंचाना है.' शिवप्रकाश ने कहा कि जब समुदाय विशेष के प्रति प्रदेश सरकार का एकतरफा नजरिया लोगों को उत्तेजित नहीं कर सका तो उन्हें नहीं लगता कि पत्रिका में छपी सामग्री से लोग भड़केंगे.
94 पन्नों की एक और पत्रिका भी
दूसरी ओर, बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री सुधीर कुमार बलियान व एक हिंदू दंगा पीडि़त के वकील जगबीर सिंह ने भी 94 पन्नों की ऐसी ही एक पत्रिका प्रकाशित की है- 'फैसला आपका? भारत: दारूल हरब या दारूल इस्लाम'. बलियान कहते हैं, 'अब तक पत्रिका की 40 हजार से अधिक प्रतियां पश्चिमी यूपी के इलाकों में बंट चुकी हैं, जो लोगों को दंगों का सच बताती हैं.'
इस पत्रिका में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के लिए लिखा गया है कि उन्होंने अपराध जगत से जुड़े मुस्लिम युवकों का इस्तेमाल दंगा भड़काने के लिए किया ताकि लोकसभा चुनाव में वोट जीता जा सके.
जगबीर सिंह कहते हैं, 'पत्रिका का उद्देश्य भावनाओं को भड़काना नहीं बल्कि लोगों को सच्चाई बताना है. इसे 17 दिसंबर को दिल्ली में रिलीज किया गया है. पत्रिका में उन एफिडेविट दस्तावेजों को जगह दी गई है जो मैंने दंगा मामलों की जांच के लिए बनाई गई समिति के सामने रखे थे.' जगबीर बताते हैं कि बीजेपी, आरएलडी और कांग्रेस नेताओं ने उन्हें पत्रिका के प्रकाशन के लिए आर्थिक मदद दी.