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RTI की मदद से रिटायर्ड प्रोफेसर को 44 साल बाद मिला गोल्ड मेडल

एक प्रोफेसर को अपना गोल्ड मेडल हासिल करने के लिए 44 सालों तक इंतजार करना पड़ा. जिस यूनिवर्सिटी में उन्होंने सबसे ज्यादा अंक हासिल किए और बतौर प्रोफेसर तीन साल पहले रिटायर भी हो गए, उसमें गोल्ड मेडल RTI के तहत केस करने के बाद 65 साल की उम्र में मिला.

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मिला गोल्ड मेडल
मिला गोल्ड मेडल

एक प्रोफेसर को अपना गोल्ड मेडल हासिल करने के लिए 44 सालों तक इंतजार करना पड़ा. जिस यूनिवर्सिटी में उन्होंने सबसे ज्यादा अंक हासिल किए और बतौर प्रोफेसर तीन साल पहले रिटायर भी हो गए, उसमें गोल्ड मेडल RTI के तहत केस करने के बाद 65 साल की उम्र में मिला.

इनॉर्गैनिक केमिस्ट्री में गोल्ड मेडल
लखनऊ यूनिवर्सिटी में केमिस्ट्री डिपार्टमेंट के एक रिटायर्ड प्रोफेसर को 44 साल गोल्ड मेडल दिया गया. RTI की मदद से शनिवार को 44 सालों के लंबे इंतजार के बाद 65 साल की उम्र में आखिरकार रिटायर्ड प्रोफेसर अनिल कुमार सिंह को इनॉर्गैनिक केमिस्ट्री में एम रमन गोल्ड मेडल मिला.

1971 में ही मिलना था मेडल
सिंह ने इस विषय में सबसे ज्यादा अंक हासिल किया था और 1971 को उन्हें गोल्ड मेडल मिलना चाहिए था. 1971 को यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह न होने की वजह से सिंह को मेडल नहीं मिल सका. अनिल सिंह को मेडल मिलने के साथ ही और लोगों को भी मेडल मिलने की उम्मीद बढ़ गई है.

बतौर प्रोफेसर जून 2012 में रिटायर
सिंह ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद केमिस्ट्री डिपार्टमेंट में पढ़ाया और बतौर प्रोफेसर जून 2012 में रिटायर हो गए. वे राष्ट्रीय शिक्षक महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे. सिंह के मुताबिक जब भी उन्होंने यूनिवर्सिटी से मेडल के संबंध में कुछ पूछा तो उन्हें बताया जाता था कि किसी को मेडल देना या न देना यूनिवर्सिटी का अधिकार है.

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सूचना के अधिकार के तहत केस दर्ज
यूनिवर्सिटी से मिले मार्क शीट में यह बात साफ थी कि मेरिट में वह पहले पोजिशन पर थे और 2007 में जारी हुए सर्टिफिकेट में भी यही बात साफ हो गई थी. उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत केस दर्ज कराया.

सम्मान भेजने का है नियम
अगर किसी वजह से यूनिवर्सिटी दीक्षांत समारोह नहीं करता है तो डिग्री , डिप्लोमा और शैक्षिक सम्मान रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए भेजने का नियम है. सेक्शन 15.05 का हवाला देते हुए सिंह ने RTI दायर कर इस प्रक्रिया के होने या न होने की जानकारी मांगी.

कुलपति के राजी होने पर मिला मेडल
इस सवाल का जवाब उन्हें नहीं दिया गया, लेकिन उन्होंने यह भी पूछा था कि अगर कोई इस संबंध में अर्जी दे, तो क्या उसे मेडल दिया जाएगा. इसके जवाब में उन्हें बताया गया कि अगर कुलपति राजी हो जाएं, तो मेडल दिया जा सकता है.

इसके बाद अनिल सिंह ने लखनऊ यूनिवर्सिटी के वीसी से अपने मेडल की बात कही. उनकी अर्जी को स्वीकार कर लिया गया और शनिवार को परीक्षा नियंत्रक एसके शुक्ला ने प्रोफेसर सिंह को मेडल दिया.

 

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