ग्रेटर नोएडा की एसडीएम रह चुकीं दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन के बाद से ही उत्तर प्रदेश सरकार की जमकर आलोचना हो रही है. कुछ कार्यकर्ताओं और राजनेताओं ने आरोप लगाया था कि मस्जिद की दीवार को बहाना बनाकर दुर्गा को इसलिए पद से हटा दिया गया क्योंकि वो राज्य में चल रहे अवैध खनन का विरोध कर रही थीं.
अब राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए एक इंटरव्यू में खुलासा किया है कि निलंबित आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल की नोएडा में पोस्टिंग उनके पति के अनुरोध पर की गई थी. उन्होंने कहा कि अब उन्हें अपने फैसले पर अफसोस है. गौरतलब है कि दुर्गा के पति नोएडा के पास गाजियाबाद में तैनात हैं. पेश हैं अखिलेश से बातचीत के अंश:
सवाल: आपने दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित क्यों किया?
अखिलेश यादव: मैं पहले ही आपको बता दूं कि इस मामले में जांच चल रही है. हमने आरोप पत्र दायर कर दिया है, जिनके जवाब दुर्गा नागपाल देंगी. उत्तर प्रदेश के हालात समझने जरूरी हैं. पिछले पांच महीनों में ऐसे कई घटनाएं हुईं जिनसे हिंसा बढ़ सकती थी. पिछले हफ्ते मेरठ में कुछ लोग भजन सुनना चाहते थे और एक समूह नमाज पढ़ना चाहता था. इसी बात पर बहस शुरू हो गई और एक फायरिंग भी हुई. इस वारदात में दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई.
सहारनपुर में दो मुसलमानों का एक्सीडेंट हो गया, जिसके बाद झगड़ा होने लगा. तो ये है उत्तर प्रदेश का माहौल. नागपाल के मामले में कुछ मुस्लिम नेता मस्जिद बनाने के लिए कई महीनों से चंदा इकट्ठा कर रहे थे, लेकिन जब किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई तो उन्होंने दीवार खड़ी कर दी.
दुर्गा नागपाल एक दिन मौके पर पहुंची और आदेश दे दिया कि दीवार गिरा दी जाएगी. वे कहने लगी, 'मैं तब तक नहीं जाऊंगी जब तक कि दीवार नहीं गिरा दी जाती.' जब दीवार गिराई गई तब वो वहां मौजूद थी और वे इस बात से इनकार नहीं कर सकतीं. यहां तक कि कुछ गांववालों ने यह भी कहा है कि वो दीवार गिराए जाने तक वहीं थीं.
इसके बाद एक मुस्लिम नेता ने कहा कि इस मुद्दे पर बातचीत करने के लिए पंचायत बुलाई जाएगी. यही नहीं लोकल इंटेलिजेंस यूनिट यानी कि एलआईयू ने भी रिपोर्ट दी थी कि इलाके में शांति भंग होने की आशंका है. अगर दीवार गिराए जाने के विरोध में पंचायत भी कोई आदेश दे देती तो फिर क्या होता? इस समय रोजे चल रहे हैं और धार्मिक माहौल है. अगर कुछ हो जाता तो कौन जिम्मेदार होता? मुझे मामले को शांत करने के लिए एक्शन लेना पड़ा.
सवाल: लेकिन स्थानीय खबरों में डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि गांववालों ने दीवार गिराई थी और तब नागपाल वहां पर मौजूद नहीं थीं.
अखिलेश यादव: जैसा कि मैंने कहा, हम मामले की जांच कर रहे हैं. हम डीएम की रिपोर्ट समेत सभी पहलुओं की पड़ताल कर रहे हैं.
सवाल: आलोचक कहते हैं कि इससे पहले राज्य में जितने भी दंगे हुए आपने बहुत कम ही प्रतिक्रिया दी. लेकिन इस मामले में आपकी सरकार ने नागपाल के निलंबन में तेजी दिखाई. उनके साथ अलग सा बर्ताव क्यों किया गया?
अखिलेश यादव: कई मामलों में मेरी सरकार ने कार्यवाही की है. हमने फैजाबाद और मथुरा में भी अधिकारियों का तबादला और निलंबन किया है. हम हर उस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही करते हैं जो गैर-जिम्मेदार होता है. एक मुख्यमंत्री होने के नाते मैं और क्या कर सकता हूं? अगर आप ठीक से काम नहीं करेंगे तो इसमें मेरी क्या गलती?
नागपाल के केस में मैंने उन्हें महत्वपूर्ण जगह पर काम करने का अवसर दिया. वह एक युवा आईएएस अधिकारी हैं और उनके पति ने मुझसे उनकी पोस्टिंग ग्रेटर नोएडा में करने का अनुरोध किया था. अब मुझे लगता है कि मैंने गलती कर दी.
सवाल: मीडिया, कार्यकर्ता और कुछ राजनेता नागपाल का पुरजोर समर्थन कर रहे हैं. आप उन्हें क्या कहना चाहेंगे?
अखिलेश यादव: कुछ लोग हैं जो मेरी सरकार गिराना चाहते हैं. उनके लिए बोडोलैंड एक बड़ा मुद्दा नहीं है, जहां हजारों लोग विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. उनके लिए अलग तेलंगाना भी कोई मुद्दा ही नहीं है. उनके लिए एक एसडीएम का निलंबन सबसे बड़ा मुद्दा है.
हमने नागपाल को काम करने से कभी नहीं रोका. हमने तो उन्हें काम करने की पूरी आजादी दी. लेकिन उनसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए किसने कहा?
सवाल: मीडिया में आईं खबरें कह रही हैं कि नागपाल को इसलिए निशाने पर लिया गया क्योंकि वे उन बालू माफियाओं का विरोध कर रही थीं, जिन्हें राजनीतिक शरण मिली हुई है. आप इन आरोपों पर क्या जवाब देना चाहते हैं?
अखिलेश यादव: उत्तर प्रदेश में जहां कहीं भी बालू का अवैध खनन चल रहा है, वहां मेरी सरकार कार्यवाही कर रही है. राज्य में बहुत सी नदियां हैं, इसलिए यह समस्या बड़ी है. इसे रोकने के लिए हमें कार्यवाही जारी रखनी होगी. हमें तो यह भी नहीं पता कि दुर्गा अवैध खनन के खिलाफ कदम उठा रही थीं. उनके निलंबन का अवैध खनन से कोई लेना-देना नहीं है.