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सपा सरकार नहीं मानती लोहिया को स्वतंत्रता सेनानी, RTI से खुलासा

राम मनोहर लोहिया के आदर्शों पर चलने का दावा करने वाली यूपी की समाजवादी पार्टी सरकार राम मनोहर लोहिया को स्वतंत्रता सेनानी नहीं मानती. एक आरटीआई के जरिए इस बात का खुलासा हुआ है कि समाजवादी आंदोलन के प्रेरक लोहिया का नाम यूपी के स्वतंत्रता सेनानियों की फेहरिस्त में नहीं है. जाहिर है इस मुद्दे को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.

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यूपी के स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट में नहीं है लोहिया का नाम
यूपी के स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट में नहीं है लोहिया का नाम

यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार जिस नाम और सोच को अपनी नीतियों और काम-काज का आधार बताती है, उसी राम मनोहर लोहिया को प्रदेश में स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा हासिल नहीं है. ये खुलासा एक आरटीआई के जरिए हुआ है, जिसमें यूपी के अब तक के सभी जीवित और दिवंगत स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम मांगे गए थे. शुरुआत में सरकारी विभाग इसका जवाब देने में टालमटोल करते रहे. लेकिन आखिर में जब मामला अपील में सूचना आयोग पहुंचा तो यूपी के राजनीतिक पेंशन विभाग से कुल 316 स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट दी गई. मगर इस लिस्ट से समाजवादी आंदोलन के जनक और अंग्रेजों के खिलाफ सबसे मुखर आवाज रखने वाले राम मनोहर लोहिया का नाम गायब था.

कैप्टन अब्बास अली भी नहीं स्वतंत्रता सेनानी
साथ ही इस सूचि में कैप्टन अब्बास अली का नाम भी नदारद था, जिन्हें खासतौर पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ कंधे से कंधा मिला कर अंग्रेजों से लोहा लेना के लिए याद किया जाता है.

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आरटीआई में खुलासा
एडवोकेट और आरटीआई कार्यकर्ता शैंलेंद्र सिंह चौहान ने कहा, 'पहले सरकार की ओर से काफी टालमटोल की गई लेकिन सूचना आयोग में मामला जाने के बाद आरटीआई के माध्यम से हमें जो सूचि राजनीतिक पेंशन विभाग की ओर से दी गई उसमें लोहिया जी और कैप्टन अब्बास अली के नाम नहीं थे.'

एसपी के लिए शर्मिंदगी का सबब
जाहिर है कि लोहिया के उसूलों पर चलने का दम भरने वाली समाजवादी पार्टी के लिए ये खुलासा बेहद शर्मिंदा करने वाला था क्योंकि समाजवादी पार्टी जब-जब सरकार में रही है अपनी सोच को परिभाषित करने के लिए उसने लोहिया के नाम का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया है. इतना ही नहीं, सरकार की सबसे महात्वाकांक्षी योजनाओं का नाम भी राम मनोहर लोहिया के नाम पर ही रखा गया है. फिर चाहे वो गरीबों के लिए आवास की योजना हो या फिर अस्पताल, सड़क, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और पार्क.

विपक्ष को मिल गया मौका
इसमें कोई शक नहीं कि सरकार की इस भूल ने विपक्ष को हमले का मौका दे दिया है. बीएसपी तो इसे लोहिया से ऊपर उठ कर समाजवाद का चेहरा बनने की एसपी प्रमुख मुलायम सिंह यादव की सोची समझी नीति मानती है. बीएसपी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, 'दरअसल इसके पीछे श्री मुलायम सिंह यादव की अपनी महात्वाकांक्षा है. वो खुद को लोहिया से ऊपर रखना चाहते हैं. सबसे बड़ा समाजवाद का तमगा वो अपना नाम करना चाहते हैं. यही वजह है कि लोहिया की उपेक्षा की जा रही है. उनके संघर्ष को नकारा जा रहा है.'

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बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा, 'लोहिया का नाम सूची में नहीं है. निश्चित तौर पर जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और समाजवादी पार्टी सरकार को आरटीआई पर ऐसा जवाब देने के बजाए पहले अपनी भूल स्वीकार करनी चाहिए थी और उसके बाद लोहिया का नाम स्वत: स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट में जोड़ देना चाहिए था. ऐसा नहीं हुआ इसका मतलब है कि एसपी का लोहिया प्रेम झूठा है और मात्र दिखावा है.'

एसपी ने विपक्ष को ठहराया दोषी
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि यूपी में स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट से गायब लोहिया के नाम को समाजवादी पार्टी नेता कांग्रेस की साजिश बताते हैं. पांच बार यूपी में सरकार बना चुकी समाजवादी पार्टी ये बात को मानने को तैयार नहीं है कि उसके प्रेरक और विचारधारा के स्रोत राम मनोहर लोहिया का नाम आजादी की लड़ाई लड़ने वालों की लिस्ट से गायब होने के पीछे कहीं न कहीं उसकी अनदेखी है.

समाजवादी पार्टी के एमएलसी यशवंत सिंह ने कहा, 'भारत में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी. और कांग्रेस ने ये दिखाने का प्रयास किया कि उसके नेताओं ने ही देश की लड़ाई की आजादी लड़ी. दूसरे योद्धाओं की उपेक्षा का पूरा प्रयास किया कांग्रेस ने, इसलिए उनके नाम स्वतंत्रता सेनानियों की सूची में ढूंढने में दिक्कत आ रही है.'

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सरकारी विभागों की सफाई
दूसरी तरफ राजनीतिक पेंशन विभाग भी इस मामले पर सफाई पेश की है. विभागीय सूत्रों का कहना है कि स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट में सिर्फ उन्हीं महापुरुषों के नाम शामिल हैं जिन्होंने पेंशन लेना स्वीकार किया. चूंकि सादा जीवन जीने वाले अंबेडकरनगर जिले के राम मनोहर लोहिया और अलीगढ़ के कैप्टन अब्बास अली समाजवादी विचारधारा के होने के साथ-साथ जीवन भर अविवाहित रहे, इसलिए उन्होंने सरकारी खजाने से पेंशन लेने से इंकार कर दिया. इसलिए उनका नाम पेंशन लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की लिस्ट में शामिल नहीं हो पाया.

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