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लोहिया की सप्तक्रांति और मुलायम की सप्तभ्रांति

समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव आज अपना 75 वां जन्मदिन मना रहे हैं. मुलायम सिंह खुद को महान स्वतंत्रता सेनानी और प्रखर समाजवादी राममनोहर लोहिया का शिष्य बताते हैं. लोहिया के नाम पर बनी पार्टी के मुखिया मुलायम राजनीतिक तौर पर देश के सबसे अहम प्रदेश के 'सुपर मुखिया' है. मुलायम सिंह राजनीति में लगभग पांच दशकों से सक्रिय हैं. सप्तक्रांति का नारा देने वाले राममनोहर लोहिया के शिष्य मुलायम सिंह और उनके गुरु को जानते हैं इन सात बातों से...

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समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव आज अपना 75 वां जन्मदिन मना रहे हैं. मुलायम सिंह खुद को महान स्वतंत्रता सेनानी और प्रखर समाजवादी राममनोहर लोहिया का शिष्य बताते हैं. लोहिया के नाम पर बनी पार्टी के मुखिया मुलायम राजनीतिक तौर पर देश के सबसे अहम प्रदेश के 'सुपर मुखिया' है. मुलायम सिंह राजनीति में लगभग पांच दशकों से सक्रिय हैं. सप्तक्रांति का नारा देने वाले राममनोहर लोहिया के शिष्य मुलायम सिंह और उनके गुरु को जानते हैं इन सात बातों से...

1. राममनोहर लोहिया स्वदेशी के बहुत बड़े पैरोकार थे. उन्होंने अंग्रेजी भाषा का विरोध करते हुए कहा था कि यह शासकों की भाषा है, देश का विकास अपनी भाषा में ही हो सकता है. लेकिन उनके शिष्य मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने ऑस्ट्रेलिया गए थे. हमारा अंदाजा है वहां कोई हिंदी का गुरुकुल तो रहा नहीं होगा.

2. लोहिया ने हर स्तर पर बराबरी की बात की. शिक्षा के स्तर पर बराबरी लाने का एकमात्र उपाय था कि सरकारी स्कूलों की हालत बेहतर की जाए और सभी सरकारी स्कूलों में ही अपने बच्चों को पढ़ाएं. विकिपीडिया बताता है कि मुलायम सिंह परिवार सरकारी स्कूलों में बस योजनाओं का फीता काटने ही गया है. उनकी दूसरी और तीसरी पीढ़ी में किसी बच्चे की पढ़ाई प्राथमिक सरकारी स्कूल में नहीं हुई.

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3. लोहिया ताउम्र विपक्ष में रहे, उनकी राजनीति का आधार ही कांग्रेस विरोध रहा. देश में जब नेहरू और कांग्रेस के आगे राजनीति दिखाई नहीं देती थी लोहिया ने अकेले दम विपक्ष खड़ा किया और कांग्रेस को कई राज्यों में हार का मुंह देखना पड़ा. मुलायम भी कांग्रेस विरोध की डफली बजाते रहे हैं लेकिन हर अहम मौके पर उन्होंने कांग्रेस सरकार को बचाया है.

4. लोहिया आर्थिक बराबरी के बिना किसी भी तरह की बराबरी को अर्थहीन मानते थे. लोहिया के जीवन का अंदाजा इसी तथ्य से लगाइए कि निधन के बाद उन्होंने अपने पीछे कोई संपत्ति नहीं छोड़ी वहीं दूसरी तरफ मुलायम सिंह यादव पर आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा है.

5. लोहिया ने जीवन भर आदमी और औरत के भेदभाव का विरोध किया. स्त्री के सम्मान और बराबरी के हितों की बात लोहिया औरतों के खिलाफ मुलायम के कुछ बयान जब देश में बलात्कार के दोषियों को कड़ी सजा देने पर सहमत‍ि बनती लग रही थी लोहिया के चेले मुलायम ने एक विवादास्पद बयान दिया. मुलायम ने बलात्कारियों का पक्ष लेते हुए कहा लड़कों से गलती हो ही जाती है इसका मतलब ये तो नहीं कि उनको फांसी पर चढ़ा दिया जाए.

6. देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू पर तंज कसते हुए लोहिया ने कहा था कि जब देश का बहुसंख्यक मात्र 3 आने कमाता है, नेहरू का एक दिन का खर्च 25 हजार है. पैसों की फिजूलखर्ची पर प्रधानमंत्री तक को घेर देने का नैतिक साहस था लोहिया में. अपने जन्मदिन पर लाखों खर्च होता देख मुलायम को लोहिया की याद आ रही होगी क्या!

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7. लोहिया ने जातिवाद का कुचक्र तोड़ने के लिए रोटी और बेटी का सिद्धांत दिया था. लोहिया ने कहा था जातिवाद का खात्मा करने के लिए समाज की हर जाति को एक दूसरे के साथ बैठ कर खाना चाहिए. इसके साथ ही अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देना चाहिए. मुलायम सिंह की राजनीतिक जमीन ही यादव और मुस्लिम के उनके समीकरण पर टिका हुआ है.

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