उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव और पूर्व आईएएस अधिकारी राजीव कुमार को सुप्रीम कोर्ट ने बहुचर्चित नोएडा भूमि आवंटन घोटाले मामले में दोषी पाया, लेकिन जेल की सजा को घटाकर कम कर दिया है. जिसके बाद अब उन्हें दो साल की सजा काटनी होगी.
जबिक सीबीआई की विशेष अदालत ने दोनों को तीन-तीन साल की कैद और एक-एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी, लेकिन उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया था. इसके बाद दोनों ने हाईकोर्ट ने भी दोनों की अपील खारिज करते हुए सजा पर मुहर लगा दी थी. हाईकोर्ट से सजा पर मुहर लगने के बाद सुप्रीमकोर्ट में अपील दाखिल की है. लेकिन अब सुप्रीमकोर्ट से भी कोई खास राहत नहीं मिल सकी है.
गौरतलब है कि नोएडा प्लाट आवंटन घोटाला 1995 का है जब वरिष्ठ आइएएस नीरा यादव नोएडा अथारिटी की सीईओ थी और राजीव कुमार डिप्टी सीईओ. दोनों अधिकारियों पर प्लाट आवंटन में अनियमितता बरतने और स्वयं तथा अपने परिजनों को लाभ पहुंचाने का आरोप था. राजीव कुमार को आवंटित प्लाट का दो बार दूसरे सैक्टरों में कन्वर्जन किया . इसी तरह नीरा यादव की बेटियों को भूखंड आवंटन में भी अनियमितताएं हुई दोनों बेटियों को आवंटित भूखंड दूसरे सैक्टरों में कन्वर्ट किये गए. इससे पहले, नीरा यादव को सीबीआई अदालत ने एक अन्य भूखंड मामले में 2010 में चार साल की सजा सुनाई थी.
नीरा यादव 1971 बैच की भारतीय प्रशानिक सेवा की अधिकारी रही नीरा यादव उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के फिरोजपुर गांव की रहने वाली हैं. नीरा यादव के पति महेंद्र सिंह यादव भी आइपीएस अधिकारी थे, जिन्होंने बाद में राजनीतिक कारणों से इस्तीफा दे दिया था.
नीरा यादव सपा प्रमुख रहे मुलायम सिंह यादव की काफी करीबी रही हैं. वह उत्तर प्रदेश के लगभग सभी महत्वपूर्ण जगहों पर काम करने का मौका मिला. इतना ही नहीं नीरा यादव यूपी मुख्य सचिव बनने में भी सफल रहीं हैं.हालांकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें पद से हटना पड़ा. सेवानिवृत्त होने के बाद नीरा यादव वर्ष 2009 में भाजपा में शामिल हो गई थी.