करीब दो साल तक साइडलाइन में रखने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के करीबी आईएएस अफसर माने जाने वाले नवनीत सहगल को अखिलेश सरकार ने पहली बार अहम नियुक्ति दी है. सहगल को प्रमुख सचिव सूचना के पद पर तैनाती मिली है. अखिलेश सरकार के आने के बाद से ही उन्हें राजस्व परिषद और धर्मार्थ कार्य जैसे महत्वहीन विभागों में तैनात किया गया था. अभी तक प्रमुख सचिव सूचना का कार्यभार प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन विभाग सदाकांत के पास था.
मायावती सरकार में पंचम तल में कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह के बाद सहगल ही सबसे ज्यादा ताकतवर माने जाते थे. तब सीएम के सचिव के साथ-साथ ऊर्जा विभाग, पावर कॉर्पोरेशन व जल निगम की कमान के अलावा सरकार की योजनाओं के अमल एवं निगरानी का जिम्मा भी उन्हीं के पास था.
मायावती की 'गुडबुक' में होने का खामियाजा उन्हें सपा सरकार बनने के बाद भुगतना पड़ा. मार्च 2012 सत्ता परिवर्तन के बाद अखिलेश सरकार ने माया के जिन करीबी अफसरों को किनारे लगाया उसमें सहगल भी शामिल थे. पहले तो उन्हें सजा के तौर पर राजस्व परिषद भेजा गया बाद में उनकी तैनाती धर्मार्थ कार्य विभाग में कर दी गई. सहगल ने निष्क्रिय से पड़े इस विभाग में भी कामकाज शुरू कराकर चर्चा में ला दिया.
चुनाव से पहले सहगल को मुख्य धारा में लाने का सरकार का मकसद मीडिया मैनेजमेंट है. मुजफ्फरनगर दंगा, दंगा पीड़ितों के पुनर्वास और सैफई महोत्सव को लेकर जिस तरह का बखेड़ा हुआ उसे सूचना विभाग का फेल्योर माना जा रहा है. सरकार ने अब इस मोर्चे पर सहगल को लगाने का फैसला किया है ताकि चुनाव में नकारात्मक प्रचार पर कुछ अंकुश लग सके.