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स्कूल के दिनों में ही VHP के संपर्क में आ गए थे मनोज सिन्हा

देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में बीजेपी विकास के साथ-साथ हिंदुत्व के अपने एजेंडे पर चुनाव जीतकर आई है. राममंदिर बनाने, अवैध बुचड़खानों को बंद करने, लव जेहाद जैसे मुद्दों को चुनाव में उठाने के बाद बीजेपी 403 में से 325 सीटों पर बंपर जीत हासिल करती है. धार्मिक और जातिय समीकरणों को साधने की चुनौती के बीच शुरू होती है यूपी के सीएम पद की रेस तो सबसे आगे दिखता है पूर्वांचल का एक चेहरा- मनोज सिन्हा का.

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मनोज सिन्हा
मनोज सिन्हा

देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में बीजेपी विकास के साथ-साथ हिंदुत्व के अपने एजेंडे पर चुनाव जीतकर आई है. राममंदिर बनाने, अवैध बुचड़खानों को बंद करने, लव जेहाद जैसे मुद्दों को चुनाव में उठाने के बाद बीजेपी 403 में से 325 सीटों पर बंपर जीत हासिल करती है. धार्मिक और जातिय समीकरणों को साधने की चुनौती के बीच शुरू होती है यूपी के सीएम पद की रेस तो सबसे आगे दिखता है पूर्वांचल का एक चेहरा- मनोज सिन्हा का.

हिंदुत्व से क्या है जुड़ाव?
मनोज सिन्हा का जन्म यूपी के पिछड़े माने जाने वाले पूर्वांचल के गाजीपुर जिले के मोहनपुरा गांव में 1 जुलाई 1959 को हुआ. गांव के ही प्राथमिक स्कूल से पढ़ाई की शुरुआत हुई. उनके स्कूली दिनों के साथी उमाशंकर गुप्ता बचपन के दिनों को याद करते हुए बताते है कि सिटी इंटर कॉलेज के दिनों में वो वीएचपी (विश्व हिंदू परिषद) के संपर्क में आए. यही से उनके हिंदुत्व से जुड़ाव की शुरुआत हुई.

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पिता से राजनीति विरासत में मिली
ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले मनोज सिन्हा को राजनीति अपने पिता से विरासत में मिली. उनके पिता स्कूल में प्रिंसिपल थे लेकिन समाज सेवा और राजनीति में सक्रिय रहते थे. मनोज सिन्हा आईआईटी बीएचयू में पढ़ाई के साथ-साथ छात्र राजनीति में भी सक्रिय हुए.

सिन्हा और मोदी रह चुके हैं RSS प्रचारक
मनोज सिन्हा पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं. संघ से जुड़े जानकार बताते हैं कि मनोज सिन्हा और नरेंद्र मोदी दोनों संघ में प्रचारक थे और तभी से दोनों करीबी रहे हैं. यही कारण है कि जब 2014 के चुनाव में मोदी लहर आई तो मनोज सिन्हा को फिर गाजीपुर से उतारा गया. मोदी लहर में मनोज सिन्हा जीत गए और उन्हें रेल राज्य मंत्री बनाकर पूर्वांचल में पार्टी को मजबूत करने का जिम्मा सौंपा गया.

सियासत में कैसे है अलग पहचान?
-स्कूल ऑफ प्लानिंग की जनरल काउंसिल और ऊर्जा पर संसदीय कमेटी के सदस्य रह चुके हैं.
-मोदी सरकार में रेलवे राज्य मंत्री और संचार मंत्री का अनुभव.
-1999 में 13वीं लोकसभा के दौरान सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले सांसदों की सूची में शामिल
-इंडिया टुडे के सर्वे में सात सबसे ईमानदार सांसदों में जगह.
-अपने संसदीय क्षेत्र की जनता के विकास के लिए मिले सांसद निधि का पूरा फंड खर्च करते हैं.

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