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राम मंदिर जमीन खरीद विवाद से चर्चा में रहे ये शब्द, आसान भाषा में जानें इनका मतलब

अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से खरीदी गई जमीन को लेकर घमासान मचा हुआ है. ट्रस्ट इस पूरे सौदे को वाजिब और कानूनी तौर पर ठीक बता रहा है. हालांकि, इस सौदे को लेकर विवाद के दौरान तमाम ऐसे शब्द आए जिनका मतलब जानना आपके लिए जरूरी हो सकता है.

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राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से किए जमीन के सौदे पर मचा है घमासान (सांकेतिक फोटो)
राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से किए जमीन के सौदे पर मचा है घमासान (सांकेतिक फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रजिस्टर्ड एग्रीमेंट में होती हैं जमीन सौदे की शर्तें
  • किसी भी जमीन का अंतिम सौदा होती है रजिस्ट्री

अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से खरीदी गई जमीन को लेकर घमासान मचा है. राजनीतिक दलों ने जहां हंगामा शुरू कर दिया है तो वहीं दूसरी तरफ ट्रस्ट इस पूरे सौदे को वाजिब और कानूनी तौर पर ठीक बता रहा है. हालांकि, इस सौदे को लेकर विवाद के दौरान तमाम ऐसे शब्द आए, जिनका मतलब जानना आपके लिए जरूरी हो सकता है. राजस्व अभिलेखों से जुड़े इन शब्दों के क्या हैं मायने, ये हम आपको बताएंगे वो भी आसान भाषा में.

रजिस्टर्ड एग्रीमेंट

जब भी किसी जमीन का सौदा होता है तो उसके लिए तय की गई कीमत, उस रकम की अदायगी कब की जाएगी, कितने दिन में पूरी रकम खरीददार दे देगा और अगर तय वक्त के बाद खरीददार रकम नहीं दे पाएगा तो यह एग्रीमेंट आगे बढ़ेगा या रद्द हो जाएगा, ऐसी तमाम शर्तें इस एग्रीमेंट में लिखी होती हैं. इस रजिस्टर्ड एग्रीमेंट में स्टाम्प ड्यूटी लगती है. रजिस्टर्ड एग्रीमेंट में जमीन की कुल कीमत में लगने वाली रजिस्ट्री का दो फीसदी स्टाम्प ड्यूटी लगती है. जब जमीन की रजिस्ट्री होती है तो उसकी कुल स्टाम्प ड्यूटी से यह दो फीसदी कम कर दिए जाते हैं.

रजिस्ट्री

यह किसी भी जमीन का अंतिम सौदा होता है जिसमें जमीन की पूरी कीमत अदा होने के बाद जमीन का मालिक पूरा हक नए मालिक यानी खरीददार को दे देता है. रजिस्ट्री में दो रेट पर स्टाम्प ड्यूटी लगती है. शहरी विकसित क्षेत्र में सात फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र में भूमि की कुल कीमत का पांच फीसदी स्टाम्प ड्यूटी लगती है. रजिस्ट्री होने के बाद सौदा पूरा माना जाता है.

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दाखिल खारिज

जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद दाखिल खारिज की प्रक्रिया होती है. यह प्रक्रिया भू राजस्व अभिलेखों में नए मालिक का नाम दर्ज करने के लिए करवाई जाती है. जब किसी जमीन की रजिस्ट्री होती है उसके 35 दिन बाद दाखिल खारिज का प्रावधान है. इन 35 दिनों में अगर किसी भी व्यक्ति को जमीन के सौदे को लेकर कोई आपत्ति हो, मामला कोर्ट में विचाराधीन हो तो उसका दाखिल खारिज नहीं होगा लेकिन अगर कोई आपत्ति नहीं आती तो सरकार के भू राजस्व अभिलेखों में पुराने मालिक का नाम काटकर नए मालिक का नाम दर्ज कर दिया जाता है.

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गाटा संख्या

रिहायशी इलाके में जैसे किसी भी मकान का नंबर उसका पता होता है, उसकी पहचान होती है. ठीक उसी तरह से खेत-खलिहान या खाली पड़ी जमीन का भी एक नंबर सरकार के दस्तावेजों में दर्ज किया जाता है. इसी नंबर को गाटा संख्या कहते हैं. जमीन का एक बड़ा टुकड़ा गाटा संख्या कहा जाता है.

खसरा खतौनी

खसरा खतौनी भू राजस्व के दस्तावेजों में दर्ज उस भूमि का पूरा ब्यौरा होता है जिसमें भूभाग का क्षेत्रफल तो होता ही है, साथ ही उस भूमि में किस चीज की खेती की गई है या जमीन बंजर है, ग्राम समाज की है. यह सारा ब्यौरा खसरा में लिखा जाता है. वहीं, खतौनी में गाटा संख्या लिखी होती है.

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