
उत्तर प्रदेश में 2022 विधानसभा का चुनाव संपन्न हो चुका है और भारतीय जनता पार्टी (BJP) एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है. एक तरफ जहां बीजेपी ने 2017 के बाद, 2022 में भी प्रचंड बहुमत हासिल किया है, वहीं इस बार के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के खाते में महज एक सीट आई है. बलिया के रसड़ा विधानसभा सीट से उमाशंकर सिंह ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने बहुजन समाज पार्टी को एकमात्र सीट दिलाई है. आइए जानते हैं कि आखिर कौन हैं उमाशंकर सिंह, जो रसड़ा विधानसभा क्षेत्र विधायक चुने गए हैं.
उमाशंकर सिंह बलिया के नगरा थाना क्षेत्र के खनवर गांव के रहने वाले हैं. उमाशंकर सिंह ने अपना राजनीतिक सफर छात्र जीवन से ही शुरू कर दिया था. सन 1991 में उमाशंकर सिंह ने बलिया के सतीश चंद्र कॉलेज से छात्र संघ का चुनाव लड़ा और महामंत्री चुने गए थे. इसके बाद 2000 में उन्होंने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसी जीत के साथ, उमाशंकर सिंह का राजनैतिक सफर आगे बढ़ा.
2009 में उमाशंकर सिंह अपना बिजनेस शुरू किया. उमाशंकर सिंह ने एक कंस्ट्रक्शन कंपनी खोली और व्यवसाय में रम गए. लेकिन राजनीति से दूर नहीं हुए. इसी दौरान 2011 में उमाशंकर सिंह बसपा सुप्रीमो मायावती के संपर्क में आए और पार्टी जॉइन कर ली. 2012 में जब विधानसभा चुनाव हुआ, तो उमाशंकर सिंह पर मायावती ने भरोसा जताया और रसड़ा विधानसभा से इनको बसपा का उम्मीदवार बना दिया. उमाशंकर सिंह ने भी अपनी मेहनत के बल पर अपनी पार्टी की अध्यक्ष मायावती को निराश नहीं किया और शानदार जीत हासिल की. 2012 के चुनाव में उमाशंकर सिंह ने समाजवादी पार्टी के सनातन पांडेय को मात दी थी.

2017 में भी उमाशंकर सिंह इसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़े. 2017 के चुनाव में मोदी की लहर चल रही थी, लेकिन इस चुनाव में भी उमाशंकर सिंह ने जीत हासिल की. उमाशंकर सिंह की जीत का यह सिलसिला 2022 के विधानसभा चुनाव में भी जारी रहा और इन्होंने बसपा के टिकट पर रसड़ा से जीत की हैट्रिक लगाई. इस चुनाव में उमाशंकर सिंह ने सपा के महेंद्र को 5194 वोटों से हराया.
विधानसभा चुनाव 2022 की यह जीत न सिर्फ उमाशंकर सिंह के लिए खास है, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में अलग चर्चा का विषय भी बनी हुई है. क्योंकि एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड जीत हासिल हुई है, वहीं बहुजन समाज पार्टी को पूरे प्रदेश में महज एक सीट मिली है. उमाशंकर सिंह वही एकमात्र विधायक हैं. जिन्होंने पूरे उत्तर प्रदेश में बसपा को एकमात्र जीत दिलाई है.
उमाशंकर सिंह की पहचान न सिर्फ बसपा के कद्दावर नेताओं में होती है, बल्कि इलाके में ये काफी लोकप्रिय भी हैं. बताते हैं कि जब उमाशंकर सिंह पहली बार विधायक बने थे, तो क्षेत्र के 251 गरीब जोड़ों का सामूहिक विवाह अपने खर्चे से कराया था. इसी तर्ज पर अगली बार इन्होंने 351 जोड़ों की सामूहिक शादियां कराईं. कोरोना काल में भी उमाशंकर सिंह ने अपने क्षेत्र की जनता के लिए काफी काम किया. उमाशंकर सिंह ने न जाने कितने लोगों का इलाज अपने खर्चे से कराया और अस्पतालों को ऑक्सीजन के सिलेंडर मुहैया कराए. बताते हैं कि उमाशंकर सिंह की अपने क्षेत्र में लोकप्रियता ही वो वजह है, जिसके चलते उमाशंकर सिंह विपरीत परिस्थितियों में भी चुनाव जीतते आए हैं और इस बार उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई है.

आजतक से बातचीत के दौरान उमाशंकर सिंह ने बताया कि रसड़ा की जनता उनके ऊपर भरोसा करती आई है और यह जनता की जीत है. उन्होंने कहा, 'मैं यहां की जनता के भरोसे पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करता रहूंगा. बसपा के खराब प्रदर्शन के संदर्भ में उमाशंकर सिंह ने कहा कि प्रदर्शन को लेकर हम लोग समीक्षा कर रहे हैं. कहीं ना कहीं लोगों के बीच इस तरह का दुष्प्रचार किया गया था कि बसपा बीजेपी की बी टीम है. जिसकी वजह से पूरे उत्तर प्रदेश में माइनॉरिटी को लगने लगा कि बीएसपी बीजेपी की बी टीम है. माइनॉरिटी वोटर गलतफहमी में आ गए और उनका वोट हमको नहीं मिला.'
उन्होंने यह भी कहा, 'हमने देखा कि बहुत जगहों पर हमारे मतदाता समाजवादी पार्टी को रोकने के लिए बीजेपी में शिफ्ट हो गए, क्योंकि जिन लोगों ने समाजवादी पार्टी का शासन देखा है वह लोग पूरी तरह से भयभीत हैं और वह नहीं चाहते कि किसी भी हालत में सपा की सरकार आए. इसी गलतफहमी के चलते जो लोग भाजपा को पसंद नहीं कर रहे थे, वे लोकसभा चुनाव में शिफ्ट हो गए.' उमाशंकर सिंह ने कहा कि हमारा वोट शेयर कहीं कम नहीं हुआ है, लेकिन हम लोग लगातार समीक्षा कर रहे हैं. उमाशंकर सिंह ने बताया कि बसपा सुप्रीमो मायावती से उनकी बात हुई है. उन्होंने मुझे बुलाया है और कहा है कि बैठकर बात करेंगे कि कहां पर सुधार की जरूरत है.