देश में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं का विरोध अब प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी पहुंच गया है. बनारस के प्रख्यात साहित्यकार काशीनाथ सिंह ने भी साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का ऐलान कर दिया. उन्हें 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था.
PM मोदी से रखी यह मांग
काशीनाथ सिंह ने दादरी हिंसा और कर्नाटक के एमएम कलबुर्गी की हत्या के बाद नेताओं की बयानबाजी से निराश होकर यह पुरस्कार लौटाने का ऐलान किया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी इस मुद्दे पर बयान देने की मांग रखी है.
लेकिन भाई ही फैसले के विरोध में
काशीनाथ सिंह के भाई और समालोचक नामवर सिंह साहित्यकारों के इस फैसले के विरोध में हैं. नामवर ने साहित्य अकादमी को स्वायत्त संस्था बताते हुए कहा था कि साहित्यकार यह पुरस्कार खबरों में बने रहने के लिए लौटा रहे हैं. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. वहीं, सलमान रुश्दी ने लेखकों के इस फैसले का समर्थन किया था.
अब तक 21 ने लौटाया पुरस्कार
सांप्रदायिक घटनाओं के विरोध में अब तक 21 साहित्यकार साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा कर चुके हैं. इस फेहरिस्त में अशोक वाजपेयी, नयनतारा सहगल और सारा जोसेफ जैसे नाम भी शामिल हैं. कई जगहों से निशाने पर आने के बाद अकादमी ने 23 अक्टूबर को कार्यकारिणी बोर्ड की बैठक भी बुलाई है.