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'मुगलों ने पहुंचाया शिव मंदिर को नुकसान', काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निमंत्रण पत्र में जिक्र

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के निमंत्रण पत्र में लिखा है कि मुगलों ने काशी विश्वनाथ मंदिर को भारी नुकसान पहुंचाया. इस कार्यक्रम में 3000 से ज्यादा लोगों के शामिल होने की बात कही जा रही है.

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कॉरिडोर का पीएम मोदी करेंगे लोकार्पण. (फाइल फोटो)
कॉरिडोर का पीएम मोदी करेंगे लोकार्पण. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 13 दिसंबर को पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन
  • देशभर से तीन हजार लोग होंगे शामिल

यूपी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निमंत्रण पत्र में लिखा है कि मुगल आक्रांताओं ने मुगलकाल में विश्वनाथ मंदिर को काफी नुकसान पहुंचाया था. जिसके बाद लगभग 200 वर्षों पहले महारानी अहिल्याबाई होलकर ने इसका जीर्णोद्धार कराया और फिर महाराजा रणजीत सिंह ने विश्वनाथ मंदिर के शिखर को स्वर्ण से आच्छादित कराया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ मंदिर का उद्घाटन करेंगे. इस कार्यक्रम में देश भर से 3 हजार लोगों के शामिल होने की बात कही जा रही है. साथ ही 500 चुने हुए साधु-संत भी शामिल होंगे. इस कार्यक्रम के लिए निमंत्रण पत्र बंटने शुरू हो गए हैं. 

इसके निमंत्रण कार्ड पर लिखा है कि 'वाराणसी, देवाधिदेव महादेव भगवान शिव की नगरी के रूप में पूरे जग में विख्यात है. इसे श्रद्धालु काशी के रूप में भी जानते हैं, ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव आज भी साक्षात काशी में विराजमान हैं. यहां मोक्षदायनी मां गंगा के दर्शन भी सुलभ हैं. सनातन धर्म के केन्द्र के रूप में और बौद्ध तथा जैन पंथों के सिद्धों के साथ-साथ सन्तों, योगियों व कालान्तर में शिक्षावादियों ने अपनी साधना और सिद्धि का केन्द्र वाराणसी को बनाया है. काशी में विराजमान बाबा विश्वनाथ का ज्योर्तिलिंग द्वादश ज्योर्तिलिंग में प्रमुख स्थान पर है. मध्यकाल में मुगल आक्रान्ताओं द्वारा इस पावन स्थल को भारी क्षति पहुंचाई थी.'

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इसमें आगे लिखा है, 'सन् 1777-78 ई. में महारानी अहिल्याबाई होलकर ने इस मन्दिर परिसर का पुर्ननिर्माण कराया था एवं कालांतर में 19वीं सदी में महाराजा रणजीत सिंह ने इस मन्दिर पर स्वर्ण शिखर लगवाया था. लगभग 200 वर्षों के बाद भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री जो संसद में काशी का प्रतिनिधित्व करते हैं, उनके द्वारा काशी की पुरातन आत्मा को संरक्षित रखते हुए नये कलेवर में श्री काशी विश्वनाथ धाम परिसर के नवनिर्माण को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया है.'

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद के पास जब निमंत्रण कार्ड पहुंचा तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था. उन्होंने कहा, इस निमंत्रण पत्र के मिलने के बाद मैं स्वयं को सौभाग्यशाली महसूस कर रहा हूं. क्योंकि अयोध्या शिलान्यास का भी साक्षी रहा और काशी विश्वनाथ लोकार्पण का भी साक्षी बनने का सुअवसर मिल रहा है.

निमंत्रण पत्र में लिखी बातों पर स्वामी जितेन्द्रानंद ने कहा कि ये बातें प्रधानमंत्री मोदी के गुलामी की जंजीरों से निकले भारत की आत्मा को दर्शाने की कला है. हम सिर्फ विकास के ही मामले में नही बल्कि धर्म, संस्कृति के मामले में भी दुनिया के सामने भारत के गौरवशाली इतिहास को अनुभव कर सकें और हम सर उठाकर जी सकें. सिर्फ हमारे जीवन में रोटी, कपड़ा और मकान ही नहीं सम्मान भी जीवन का हिस्सा है.

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