नोएडा के गगनचुंबी ट्विन टावर को विस्फोट के जरिए गिरा दिया गया है. इसके साथ ही होम बायर्स के वो सपने भी ध्वस्त हो गए, जो बिल्डर ने इस प्रोजेक्ट को शुरू करते हुए उन्हें दिखाए थे. दरअसल, ये ट्विन टावर देश के नामी बिल्डर सुपरटेक के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार था. इसमें 3, 4 और 5 BHK के फ्लैटों का निर्माण किया जाना था. दोनों टावरों को 40 मंजिल बनाने की योजना थी, लेकिन बीच में ही मामला कोर्ट में चला गया और काम पर रोक लग गई. 32 मंजिला इन टावरों में 950 फ्लैट्स थे, जो अब ध्वस्त हो चुके हैं.
जानकारी के मुताबिक बिल्डर ने जब इस प्रोजेक्ट को लॉन्च किया था तो इसका खूब प्रचार प्रसार किया गया था. 2006 में लॉन्च किए गया ये प्रोजेक्ट नोएडा का पहला सबसे आलिशान प्रोजेक्ट था. उस समय ये सबसे ऊंची इमारत के तौर पर लॉन्च की गई थी. जिसमें होम बायर्स को हर तरह की सुविधाएं देने का वादा किया गया था. इसमें स्विमिंग पूल, मार्केट, जिम, क्लब समेत अन्य सुविधाएं शामिल हैं. इन लुभावने सपनों के कारण ही 711 बायर्स ने इस प्रोजेक्ट के लॉन्च होने के कुछ समय में ही फ्लैट्स बुक करा दिए थे. इनमें से अधिकांश बायर्स ने बिल्डर को कई किश्तों में मोटी रकम भी अदा कर दी थी. उन्हें इंतजार था कि कब ये आलिशान प्रोजेक्ट बनकर पूरा होगा और कब वह अपने परिवारों के साथ इसमें तमाम सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे. जानकारों की मानें तो अगर ये ट्विन टावर बनकर तैयार हो जाते तो वर्तमान समय में ये नोएडा ही नहीं, बल्कि एनसीआर की सबसे शानदार आवासीय इमारत होती.

बिल्डर को वापस करने पड़े होम बायर्स के पैसे
सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचने के बाद इन ट्विन टावर्स को गिराने के आदेश दिए गए. साथ ही इसमें फ्लैट बुक कराने वाले बायर्स को भी सूत समेत पैसा वापस करने के निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे. जिस पर कुल 711 बायर्स में से सुपरटेक ने 652 बायर्स का सेटलमेंट कर दिया था. इसके लिए बुकिंग अमाउंट और ब्याज मिलाकर रिफंड का विकल्प आजमाया गया. मार्केट या बुकिंग वैल्यू+इंटरेस्ट की कीमत के बराबर प्रॉपर्टी दी गई है. बिल्डर ने प्रॉपर्टी की कीमत कम या ज्यादा होने पर पैसा रिफंड किया या अतिरिक्त रकम ली. जिन लोगों को बदले में सस्ती प्रॉपर्टी दी गई उनमें सभी को अभी तक बाकी रकम नहीं मिली है. ट्विन टावर्स के 59 ग्राहकों को अभी तक नहीं मिला रिफंड नहीं मिला है. रिफंड की आखिरी तारीख 31 मार्च 2022 थी. कुल 950 फ्लैट्स के इन 2 टावर्स को बनाने में ही सुपरटेक ने 200 से 300 करोड़ रुपये खर्च किए थे. गिराने का आदेश जारी होने से पहले इन फ्लैट्स की मार्केट वैल्यू बढ़कर 700 से 800 करोड़ तक पहुंच चुकी थी.
सुपरटेक के मालिक ने कही ये बात
सुपरटेक के मालिक आरके अरोड़ा ने ट्विन टावर गिराए जाने से कुछ घंटे पहले ही बयान जारी किया. जिसमें उन्होंने कहा, "सेक्टर-93ए में ट्विन टावर एपेक्स और सियान नोएडा प्राधिकरण द्वारा आवंटित जमीन पर बनाए गए हैं. दोनों टावरों सहित प्रोजेक्ट के बिल्डिंग प्लान को 2009 में नोएडा प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित किया गया था, जिसमें राज्य सरकार द्वारा घोषित तत्कालीन बिल्डिंग बायलॉज का सख्ती से पालन किया गया. बिल्डिंग प्लान के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई और प्राधिकरण को पूरा भुगतान करने के बाद ही बिल्डिंग का निर्माण किया गया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी स्तर पर निर्माण को सही नहीं मानते हुए दोनों टावरों को गिराने का आदेश जारी किया. हम कोर्ट आदेशों का सम्मान करते हैं और इसका पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमने ध्वस्तीकरण के लिए दुनिया की नामी एजेंसी एडिफिस इंजीनिरिंग को चुना, जो हाईराइज बिल्डिगों को सुरक्षित तरीके से ध्वस्त करने में माहिर है.