शुक्रवार की शाम उत्तर प्रदेश के सत्ताधारी कुनबे का विवाद सुलझता दिखाई दिया था. लेकिन शनिवार की सुबह अखिलेश समर्थकों ने पार्टी कार्यालय से मुलायम सिंह आवास तक उनके समर्थन में मार्च किया तो कलह गहराती नजर आई.
जिस फांस को निकालने में मुलायम सिंह जुटे थे वो सुबह और टीसने लगी. जिस वक्त ये प्रदर्शन हो रहे थे, उस वक्त सूबे के सीएम अपने पिता के साथ विक्रमादित्य आवास पर साथ मौजूद थे. मुलायम सिंह के आदेश पर ही अखिलेश यादव ने अपने सर्मथकों से शांति की अपील की.
सूबे की सत्ता में शक्ति के दो केंद्रों अखिलेश और शिवपाल के बीच समर्थक बंट गए. इस मौके पर पार्टी में सर्वशक्तिमान मुलायम सिंह ने खुद कार्यकर्ताओँ को समझाने का मोर्चा थाम लिया. समाजवादी पार्टी ऑफिस में कार्यकर्ताओं के साथ लगभग ढाई घंटे की बैठक में मुलायम सिंह ने अपना दुख दर्द कार्यकर्ताओं के साथ बांटा.
मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल का बेहद जोरदार तरीके से बचाव किया और कहा कि पार्टी को यहां तक लाने के संघर्ष में शिवपाल यादव उनके साथ रहे हैं. इमोशनल कार्ड खेलते हुए मुलायम ने कहा कि अखिलेश यादव जब पढ़ाई करते थे उस समय शिवपाल ने मेरे साथ मेहनत करके पार्टी खड़ी की है. मुलायम सिंह ने उन कार्यकर्ताओं को डांटा जो नारेबाजी और पोस्टर दिखाकर अखिलेश यादव को फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे थे. मुलायम सिंह ने कहा कि जो फैसले हुए हैं वो सब मेरे हैं.
पार्टी दफ्तर में मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव के प्रति नाराजगी दिखाई. उन्होंने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जैसा अखिलेश ने कहा वैसा हमने किया, लेकिन पार्टी 5 सीटों पर सिमट गई. इससे किसकी बेइज्जती हुई, उनकी या मेरी? अखिलेश के कुछ फैसले गलत हो सकते हैं, जिन्हें सुधारने का अधिकार उनको है. साथ ही मेरा फैसला बदलेगा नहीं, शिवपाल यादव यूपी में पार्टी अध्यक्ष बने रहेंगे. मुलायम ने ये भी कहा कि लोकसभा चुनाव के वक्त शिवपाल ने उन्हें आगाह किया था लेकिन उन्होंने नजरअंदाज कर दिया. फिलहाल मुलायम सिंह यादव की बात का असर कार्यकर्ताओं पर होता दिख रहा है, लेकिन कुनबे में चचा भतीजे की इस सियासी जंग में फिलहाल जीत शिवपाल की हुई है.