
गंगा दशहरे के मौके पर हो रहे गंगा स्नान पर खुलेआम कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ती नजर आईं. यूपी के फर्रुखाबाद में पांचाला घाट पर स्नान करने आए श्रद्धालुओं के चेहरे पर न तो मास्क दिखाई दिया और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नजर आए. जबकि, सरकार की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि अगर लापरवाही बरती गई तो जल्द ही तीसरी लहर का खतरा भी सामने होगा.
दरअसल, आज गंगा दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन गंगा स्नान का बड़ा महत्व है. लेकिन इस स्नान की आड़ में लोगों की लापरवाही भी सामने आई. यूपी के फर्रुखाबाद में पांचाल घाट पर हर साल गंगा दशहरा पर स्नान होता है. आज भी गंगा दशहरा के मौके पर घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ नजर आई.
गंगा स्नान को देखते हुए प्रशासन ने व्यवस्था तो की थी, लेकिन भीड़ के आगे नाकाफी साबित हुई. आधी रात से ही पांचाल घाट पर गंगा स्नान के लिए फर्रुखाबाद समेत आसपास के जिलों से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था. स्नान के लिए आए श्रद्धालु कोरोना गाइडलाइन को लेकर बेपरवाह नजर आए. आखिर महामारी पर आस्था भारी नजर आई.

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ऐसा नहीं है कि सिर्फ कुछ ही जगहों पर ऐसा हाल देखने को मिला हो. इस मौके पर कन्नौज के मेहंदी घाट पर भी हजारों की भीड़ जुटी. यहां आए लोगों में कोरोना को लेकर जरा भी डर नहीं दिखाई दिया. श्रद्धालु बगैर मास्क पहने और बिना सोशल डिस्टेंसिंग अपनाए गंगा स्नान करते नजर आए. मेहंदी घाट पर कन्नौज, हरदोई, औरैया, इटावा और जालौन समेत कई जिलों से लोग आते हैं.
मान्यताओं के अनुसार, गंगा दशहरा मुख्यतः गंगा के अवतरण का दिन है. ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी को मां गंगा का प्राकट्य हुआ था. गंगा दशहरा के दिन गंगा भगवान शिव की जटाओं से निकल कर धरती पर आई थीं. उनके धरती पर आने के बाद ही राजा भागीरथ के पूर्वजों की तृप्ति हुई थी. ऐसी मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन स्नान और दान करने से पापों का नाश होता है तथा पूर्वजों की तृप्ति होती है.