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'ढिबरी' वाले घरों में आया बिजली का बिल, कनेक्‍शन का अता-पता नहीं

उत्तर प्रदेश का बिजली विभाग भले ही आम जनता को बिजली देने में सबसे पीछे हो, मगर जब बिल पहुंचाने की बात आती है, तो वह जहां बिजली ही नहीं पहुंची है, वहां भी बिल भेज देता है.

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उत्तर प्रदेश का बिजली विभाग भले ही आम जनता को बिजली देने में सबसे पीछे हो, मगर जब बिल पहुंचाने की बात आती है, तो वह जहां बिजली ही नहीं पहुंची है, वहां भी बिल भेज देता है.

मऊ जिले के बड़राव ब्लॉक के कुसम्हा मुरादपुर की दलित बस्ती के लोगों के साथ ऐसा ही हुआ. बिजली विभाग ने ढिबरी जलाने वाले परिवारों को लगभग 75 हजार रुपये का बिल भेज दिया है. ढिबरी के सहारे अंधेरे से जूझ रहे यहां के दलित पांच-पांच हजार रुपये का बिल मिलने से परेशान हैं.

गौरतलब है कि बड़राव ब्लॉक क्षेत्र के कुसम्हा मुरादपुर गांव की अनुसूचित जाति बस्ती में बिजली विभाग द्वारा वर्ष 2011 में बिजली के खंभे लगाए गए थे. खंभे गाड़ने के बाद न तो बिजली के तार दौड़ाए गए, न ही बिजली की सप्‍लाई ही की गई. ग्रामीणों ने कई बार प्रयास भी किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ. ग्रामीण आज भी ढिबरी की रोशनी में रात काट रहे हैं.

इसी बीच, जब 15 ग्रामीणों के नाम से पांच-पांच हजार रुपये का बिजली बिल आ गया, तो इस झटके से ग्रामीण सन्न हो गए. वे इस बात को लेकर परेशान हैं कि घर में न बिजली है, न ही कनेक्शन, तो इसके बाद भी आखिर बिल कैसे आ गया.

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ग्रामीणों ने जब नाराजगी जताई, तो अधिशासी अभियंता (वितरण खंड तृतीय) सिद्धेश्वर नाथ ने जांच के बाद बिजली का बिल गलत पाए जाने पर उसे निरस्त करने का भरोसा दिया है.

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