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प्रियंका गांधी के सहयोगी संदीप सिंह पहुंचे हाई कोर्ट, बस विवाद में दर्ज है FIR

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने बस विवाद मामले में अंतरिम जमानत के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया है.

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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (फोटो-PTI)
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (फोटो-PTI)

  • बस लिस्ट मामले में संदीप सिंह पर दर्ज है एफआईआर
  • हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में दायर की है जमनात अर्जी

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने बस विवाद मामले में अंतरिम जमानत के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. संदीप सिंह ने अंतरिम जमानत के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में शुक्रवार को अर्जी दायर की.

संदीप सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने आज पुलिस से केस डायरी तलब की और अगली सुनवाई 17 जून को तय की. संदीप सिंह की तरफ से वरिष्ठ वकील जे एन माथुर ने एडवोकेट नदीम मुर्तजा की सहायता से कोर्ट में दलील पेश की. उन्होंने कोर्ट में कहा कि राजनीतिक बदले की भावना से ये एफआईआर दर्ज की गई थी.

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असल में कोरोना लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को उत्तर प्रदेश में उनके घर पहुंचाने के लिए बस को लेकर कांग्रेस और यूपी सरकार में खींचतान देखने को मिली थी. इसी दौरान प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पर एफआईआर दर्ज कर दी गई. अजय कुमार लल्लू अभी भी जेल में हैं. यूपी सरकार को बसों की सूची भेजने के मामले में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए संदीप सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

यूपी सरकार का आरोप है कि बसों की सूची में ऑटो, एंबुलेंस, बाइक के नंबर मिले थे. कुछ बसों के नंबर की पुष्टि ही नहीं हो पाई थी. जबकि कुछ बसों के नंबर चोरी के वाहन की होने की आशंका भी जाहिर की जा चुकी है. इस मामले में लखनऊ के हजरतगंज पुलिस ने धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज की थी.

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प्रियंका गांधी ने मई में कहा था कि हजारों श्रमिक, प्रवासी भाई-बहन बिना खाए भूखे-प्यासे पैदल दुनिया भर की मुसीबतों को उठाते हुए अपने घरों की ओर चल रहे हैं. यूपी के हर बॉर्डर पर बहुत मजदूर मौजूद हैं. ऐसे में प्रिंयका ने प्रवासी श्रमिकों के लिए 1000 बसें भेजने के लिए प्रदेश सरकार से अनुमति मांगी थी. पहले योगी सरकार ने इस मांग को ठुकरा दिया था, लेकिन बाद में स्वीकार कर लिया. इसके बाद उत्तर प्रदेश शासन ने प्रियंका गांधी से एक हजार बसों और चालकों के विवरण की मांग की थी. इसी क्रम में यह विवाद खड़ा हुआ था.

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