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नोएडा में टिड्डी दल से बचाव के लिए बनी कमेटी, DM ने किसानों को दी ये सलाह

उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में टिड्डी दल के आक्रमण से फसलों की सुरक्षा के लिए जिलाधिकारी (डीएम) सुहास एल. वाई. ने एक कमेटी का गठन किया है. उन्होंने कहा कि इस कमेटी का गठन इसलिए किया गया है, जिससे टिड्डी दल के आक्रमण से फसलों को बचाने के उपायों के बारे में किसानों को विस्तृत जानकारी दी जा सके.

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फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं टिड्डी दल (फाइल फोटो)
फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं टिड्डी दल (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मध्य प्रदेश और राजस्थान के बाद यूपी पहुंचा टिड्डी दल
  • डीएम बोले- टिड्डी दल के आने पर शोर मचाएं ग्रामीण
  • शोर की आवाज से खेतों में नीचे नहीं उतरता टिड्डी दल

राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में फसलों को नुकसान पहुंचाने के बाद अब टिड्डियों का दल उत्तर प्रदेश पहुंच गया है. टिड्डी दल भारी मात्रा में फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, ऐसे में किसान काफी चिंतित हैं. इस बीच उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में टिड्डी दल के आक्रमण से फसलों की सुरक्षा के लिए जिलाधिकारी (डीएम) सुहास एल. वाई. ने एक कमेटी का गठन किया है.

उन्होंने कहा कि इस कमेटी का गठन इसलिए किया गया है, जिससे टिड्डी दल के आक्रमण से फसलों को बचाने के उपायों के बारे में किसानों को विस्तृत रूप से जानकारी दी जा सके. डीएम ने जिले में टिड्डी दल के प्रकोप से फसलों की सुरक्षा के लिए टीम का गठन करके संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी दिए. जिसमें उन्होंने बताया, कि उनके द्वारा टिड्डी दल से फसलों की सुरक्षा के लिए उपाय और रोकथाम की कार्यवाही समय रहते सुनिश्चित कर लें जिससे फसलों को टिड्डी दल के आक्रमण से बचाया जा सके.

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जिलाधिकारी सुहास एल वाई. ने जिले के सभी किसानो से आह्वान करते हुए जानकारी दी है कि टिड्डी दल मध्य प्रदेश के दतिया जिले से उत्तर प्रदेश के झांसी और सोनभद्र जिले में पहुंच चुका है. वर्तमान में झांसी जनपद की मोट तहसील से होते हुए नोटा, सेंदरी गांव होते हुए परीछा डैम पहुंच चुका है. वहीं, दूसरी ओर राजस्थान में जनपद दौसा के सिकराई विकासखंड में इसकी लोकेशन मिली है, जो अनुकूल परिस्थितियों में आगरा जनपद में पहुंच सकता है.

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उन्होंने बताया कि टिड्डी कीट की तीन अवस्था होती हैं, जिसमें से वयस्क की अवस्था काफी हानिकारक होती है. वह दल दिन के समय सूर्य की चमकीली रोशनी में झुंडों के रूप में उड़ते रहते हैं. शाम के समय वे झाड़ियों और पेड़ों पर आराम करने के लिए नीचे उतर जाते हैं और वहीं पर रात गुजारते हैं.

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उन्होंने टिड्डी दल के प्रकोप से फसलों को बचाने के लिए जनपद के समस्त किसान भाइयों का आह्वान करते हुए कहा कि ग्राम स्तर पर एक साथ एकत्रित होकर ढोल नगाड़े, टीन के डिब्बे, थालियां और माइक आदि के शोर से टिड्डी दल खेतों में नीचे नहीं उतरता, जिससे फसलों को नुकसान होने से रोका जा सकता है.

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