scorecardresearch
 

बुंदेलखंड: पानी को तरसता चित्रकूट, प्यास की गवाही देते चेहरे, कुओं से पानी गायब, हैंडपाइप खराब

गर्मियों की शुरुआत होते ही चित्रकूट में पानी की समस्या शुरू हो गई है. यहां लोगों को पीने के पानी के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. हालांकि यहां प्रशासन द्वारा तीन तरह की स्कीम चलाई जा रही हैं.

Advertisement
X
फाइल फोटो
फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पानी के लिए तरसता है चित्रकूट
  • गर्मियों में कुओं से सूख गया पानी

चित्रकूट के गोपीपुर गांव की रहने वाली 15 साल की पूजा स्कूल जाती हैं, लेकिन जाने से पहले घर के लिए पानी भरने को मजबूर है. पूजा स्कूल से वापस आकर भी पानी भरती हैं. पूजा ने आज तक को बताया वह पहले पानी भरती हैं, फिर घर का काम और फिर स्कूल, उसके बाद फिर पानी. इन बच्चियों की जिंदगी बूंद-बूंद पानी इकठ्ठा करने में गुज़र रही है. चित्रकूट कुछ ऐसी ही कई कहानियों से जूझ रहा है, जहां सूखे का कांटा हर साल जनता को चुभता है. यह एक ट्रेलर मात्र है क्योंकि पूरे बुंदेलखंड में मानो वक्त रुक सा गया है. गोपीपुर गांव में पीने के पानी के लिए जद्दोजहद चल रही है. 14 साल की गौरा कहती हैं कि टैंकर दिन में एक बार आता है पर वह पीने लायक नहीं होता. इसलिए घर से दूर एक कुआं है, वहां जाकर दिन में कई बार पानी लाना पड़ता है. भावी प्रसाद कहते हैं कि पानी के आने जाने का कोई समय नहीं है. हैंडपंप, नल कुछ नहीं चलते हैं. रात में 2 बजे रात पानी लेने जाना पड़ता है क्योंकि दिन में बचा पानी होता है कुएं में वह खत्म हो जाता है. ग्राम प्रधान से कहो तो कोई नहीं सुनता. 

बंद पड़े हैं सरकारी हैंडपंप 

दस्सू खेती किसानी करते हैं और अपने घर के बाहर लगे बंद पड़े हैंडपंप को देखकर गुस्से में हैं. वह हाथ में खाली लोटा लिए हुए हैं और कहते हैं कि सरकार राशन दे रही है पर बिना पानी के क्या करेंगे.
भूटीपुरवा गांव में भी दोपहर करीब एक बजे पानी का टैंकर पहुंचा है. उसके पीछे लोगों की बाल्टी हाथ में पकड़े हुए भीड़ लगी हुई है. एक टैंकर में गांव वालों को पानी नहीं मिलता है. उन्हें फिर पानी लेने जाना पड़ता है. जानकी भी अपने परिवार के लिए बाल्टियां भर रही हैं. वह बताती हैं कि यहां पानी की खातिर बहुत लड़ाई होती है.  यहां कोई सरकारी योजना नहीं पहुंच रही है.

अईल्हा में रहते हैं 280 परिवार

अईल्हा गांव में 280 परिवार रहते हैं और यहां केवल एक हैंडपंप के जरिए बोरिंग होती है और पूरा गांव यहीं से पानी लेता है. असल संघर्ष यह है कि जब बिजली आती है तभी यह चलता है. यहां भी बच्चियां जाने से पहले घर के लिए पानी भरती हैं और स्कूल से वापस आने के बाद फिर वही पानी भरना.  टिकरी गांव में भी जैसे ही टैंकर पहुंचता है, यहां लोग बाल्टी लेकर खड़े हैं. गांव वालों ने बताया कि यह टैंकर कुएं में पलट देता है, जिससे फिर गांव वाले लोग पानी निकालते हैं. उनका कहना है कि एक टैंकर से पानी नहीं हो पाता है.

Advertisement

चित्रकूट में चल रहीं तीन स्कीम

चित्रकूट के डीएम शुभ्रांत शुक्ला ने आजतक को बताया हमारे लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म एप्रोच हैं. हर घर नल को लेकर जिसमें डैम से और यमुना से जल लिया रहा है. जुलाई-अगस्त तक यह काम पूरा होगा. अब गर्मी का सीजन है. गांव में लोगों को समस्या आ रही है. ग्राम पंचायत की ड्यूटी लगाई गई है. कई कमियां भी हैं परेशानियां भी हैं कई जगह टैंकर समय पर नहीं पहुंच रहे हैं. शॉर्ट टर्म के लिए स्कीम चलाकर हम पानी पहुंचाने का काम कर रहे हैं.
चित्रकूट में जल जीवन मिशन के अंतर्गत कुल 3 पानी सप्लाई स्कीम चल रही हैं. जिसमें सिलौटा वॉटर सप्लाई स्कीम, चांदी बांगर वाटर सप्लाई स्कीम और हर रायपुरा वॉटर सप्लाई स्कीम आती है. कुल मिलाकर इनकी लागत 1132 करोड़ है. इन स्कीम के लिए पानी का स्रोत यमुना नदी और गुनटा डैम है. प्रशासन के मुताबिक इन स्कीम्स में कुल मिलाकर 460 के ऊपर गांव कवर होते हैं और 1,35,305 नल के कनेक्शन चित्रकूट में एक्टिव हैं.

 

Advertisement
Advertisement