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SC की टिप्पणी पर बोलीं मायावती- कटी पतंग न बने मीडिया और बीजेपी

बसपा शासनकाल में यूपी के पार्कों में लगाई गई मूर्तियों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि मीडिया कृपा करके अदालत के बातों को तोड़ मरोड़ कर पेश ना करें.

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मायावती ने अपने शासनकाल में कई पार्क बनवाए थे
मायावती ने अपने शासनकाल में कई पार्क बनवाए थे

बसपा शासनकाल में यूपी के पार्कों में लगाई गई मूर्तियों पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपनी प्रतिक्रिया दी. शनिवार को मायावती ने कहा कि सदियों से उपेक्षित दलित, पीड़ित, शोषित और पिछड़े महापुरुषों के लिए हमने बड़े और भव्य स्थल बनवाए. मीडिया कृपा करके अदालत के बातों को तोड़ मरोड़ कर पेश ना करें. हमने पहले भी अदालत में अपना पक्ष मजबूती से रखा है. आगे भी रखेंगे, लेकिन मीडिया और बीजेपी के लोग इस मामले में कटी पतंग न बने.

उन्होंने कहा कि संतों, गुरुओं व महापुरुषों के आदर-सम्मान में निर्मित भव्य स्थल, स्मारक, पार्क आदि उत्तर की नई शान, पहचान और व्यस्त पर्यटन स्थल हैं, जिसके आकर्षण से सरकार को नियमित आय भी होती है. मीडिया कृपया करके माननीय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को तोड़-मरोड़ कर पेश ना करें.

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बता दें, सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश के लखनऊ, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में लगाई गई हाथी की मूर्तियों के खिलाफ एक याचिका दायर है. इस याचिका को रविकांत और अन्य लोगों ने दायर किया है. बीते दिनों इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी दी थी कि मायावती को मूर्तियों पर खर्च सभी पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराना चाहिए. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मायावती के वकील को कहा कि अपने क्लाइंट को कह दीजिए कि सबसे वह मूर्तियों पर खर्च हुए पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराएं. हालांकि, पीठ ने यह आदेश नहीं दिया था, बल्कि यह उनकी राय थी.

मायावती की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि इस केस की सुनवाई मई के बाद हो, लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें कुछ और कहने के लिए मजबूर न करें. अब इस मामले में 2 अप्रैल को सुनवाई होगी.

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क्या है मामला?

मायावती ने अपने कार्यकाल के दौरान नोएडा, ग्रेटर नोएडा और लखनऊ में कई पार्कों का निर्माण करवाया गया. इन पार्कों में बसपा संस्थापक कांशीराम, मायावती और हाथियों की मूर्तियां लगवाई गई थीं. अखिलेश सरकार के दौरान एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इन पार्कों पर कुल 5,919 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे.

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