मुजफ्फनगर दंगों के मामले में शुक्रवार को पहली सियासी गिरफ्तारी हुई है. वॉरंट जारी होने के करीब 55 घंटे बाद बीजेपी विधायक सुरेश राणा को लखनऊ के गोमतीनगर इलाके से गिरफ्तार किया गया है. राणा समेत 9 नेताओं के खिलाफ 18 सितंबर को वॉरंट जारी हुआ था.
वहीं राणा ने गिरफ्तारी से पहले कहा था कि सपा सरकार उन्हें और बीजेपी के अन्य नेताओं को निशाना बना रही है. गिरफ्तारी से पहले यानी कि गुरुवार की रात को सुरेश राणा ने कहा था, 'जबसे हमने सदन में आजम खान के इस्तीफे की मांग की है, तभी से हमें पता था कि हमारे खिलाफ इस तरह की साजिश रची जाएगी. हमने कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया. अगर सरकार के पास कोई सीडी है तो हमें दिखाए. अगर सरकार को लगता है कि ऐसे हम डर जाएंगे तो वो गलत सोचती है. हमें गिरफ्तारी से डर नहीं लगता है.'
वहीं गिरफ्तारी के बाद भी सुरेश राणा खुद को निर्दोष बताया है. उनका दावा है कि उनके खिलाफ सिर्फ इसलिए कार्रवाई हुई है, क्योंकि उन्होंने इस मुद्दे को सदन में उठाया है. उन्होंने ये भी सवाल उठाए कि आजम खान को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है. राणा का कहना है कि सिर्फ बीजेपी नेताओं को ही जानबूझ कर निशाने पर लिया जा रहा है.
वहीं इस मामले में उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा, 'हमें पता चला गिरफ्तारी के बारे में. सरकार अपना काम कर चुकी है और अब हम अपना काम करेंगे. हमनें मीटिंग बुलाई है. सरकार ने बीजेपी को जो मुस्लिमात्मक उत्पीड़न दिया है उससे पार्टी और मजबूत होकर उभरेगी और जनता का भी पार्टी में विश्वास बढ़ेगा.'
इस मामले में जो अन्य राजनेताओं के नाम एफआईआर में दर्ज हैं, वो इस प्रकार हैं-
कुंवर भारतेंदु, बीजेपी विधायक
संगीत सोम, बीजेपी विधायक
कादिर राणा, बीएसपी सांसद
नूरसलीम राणा, बीएसपी विधायक
मौलाना जमील, बीएसपी विधायक
सैदुज्जमा, पूर्व मंत्री, कांग्रेस
राकेश टिकैत, नेता, बीकेयू
नरेश टिकैत, नेता बीकेयू