उत्तर प्रदेश के अयोध्या में जारी राम मंदिर निर्माण को लेकर कई तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं. बीते दिनों आरोप लगा कि मंदिर निर्माण में काम आने वाली एक ज़मीन जिसकी कीमत 2 करोड़ रुपये थी, उसे 18 करोड़ रुपये में खरीदा गया. इन आरोपों के बाद राजनीतिक घमासान जारी है. इस बीच अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय सामने आए हैं और इस पूरे विवाद पर अपनी सफाई दी है.
ऋषिकेश उपाध्याय ने आजतक से बात करते हुए कहा कि राम मंदिर ट्रस्ट ने बयान जारी कर साफ कर दिया है कि वो भूमि वर्षों पुराने अनुबंध पर थी, उसी के अनुसार उसे अपने नाम कराया गया है. मैं मेयर के नाते सभी विषयों में गवाह हूं.
ऋषिकेश उपाध्याय ने कहा कि जो पैसा ट्रांसफर हुआ है, वह उसके गवाह रहे हैं. दस मिनट में कीमत कैसे बढ़ी, इसपर मेयर ने सफाई दी कि वह अनुबंध वर्षों पुराना है, जिसे लोग कुछ मिनट बताया जा रहा है. जो लोग मुद्दा उठा रहे हैं, वो राजनीतिक लोग हैं. जिनको भगवान राम से दिक्कत है, वो लोग ये मुद्दा उठा रहे हैं.
अयोध्या में ज़मीन के मार्केट रेट पर मेयर ने कहा कि मार्केट रेट क्या है, ये पता किया जा सकता है. आज एयरपोर्ट और अन्य चीज़ों के लिए भी सरकार अधिक दाम पर ज़मीन ले रही है. मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने कहा कि ट्रस्ट की ओर से ऑनलाइन पैसा दिया गया है, ऐसे में गड़बड़ी का कोई सवाल नहीं हो सकता है.
इस विवाद पर बीजेपी नेता राम कदम ने कहा है कि शिवसेना का राम मंदिर के मसले पर बोलने का अधिकार नहीं है. कांग्रेस ने 22 वकीलों को अदालत में लगाया था, ताकि फैसला ना हो. भूमि पूजन के वक्त एनसीपी ने भी सवाल खड़े किए थे.
गौरतलब है कि बीते दिन ही समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी की ओर से आरोप लगाए गए कि राम मंदिर की ज़मीन के नाम पर घोटाला किया गया है. दावा किया गया कि दो करोड़ की ज़मीन को सिर्फ दस मिनट के अंतर पर 18 करोड़ में खरीदा गया है. हालांकि, श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट की ओर से बयान जारी करते हुए इन आरोपों का खंडन किया गया है.