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कितने सालों तक सही रहेगा राम मंदिर का ढांचा और कब से होंगे दर्शन? 'जब वी मेट' में नृपेंद्र मिश्रा ने दिया जवाब

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव और राम मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा ने कहा, ''दिसंबर, 2023 तक श्रद्धालुओं को मंदिर का दर्शन करने का अवसर मिल सकेगा. मंदिर का निर्माण उसी के अनुसार चल रहा है.''

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अयोध्या में राम मंदिर का हो रहा निर्माण (प्रतीकात्मक तस्वीर)
अयोध्या में राम मंदिर का हो रहा निर्माण (प्रतीकात्मक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'जब वी मेट' कार्यक्रम में शामिल हुए नृपेंद्र मिश्रा
  • 'दिसंबर, 2023 से शुरू हो जाएंगे राम मंदिर के दर्शन'

सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या विवाद पर आए फैसले के बाद सबकी निगाहें राम मंदिर निर्माण पर लंबे समय से टिकी हुई हैं. भगवान राम के भक्त चाहते हैं कि जल्द से जल्द अयोध्या में राम मंदिर बन जाए, जिससे वे दर्शन कर सकें. राम मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा पूरे निर्माण कार्य पर करीबी नजर बनाए हुए हैं. वह 'इंडिया टुडे/आजतक' के खास कार्यक्रम 'जब वी मेट' में शामिल हुए और राम मंदिर निर्माण के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने उस समय के बारे में भी बताया कि जब श्रद्धालु राम मंदिर में दर्शन कर सकेंगे. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कितने सालों तक राम मंदिर के ढांचे को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचेगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव और राम मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा ने कहा, ''दिसंबर, 2023 तक श्रद्धालुओं को मंदिर का दर्शन करने का अवसर मिल सकेगा. मंदिर का निर्माण उसी के अनुसार चल रहा है.'' उन्होंने मंदिर बनने के दौरान आ रहीं चुनौती के बारे में भी लोगों को अवगत करवाया और कहा कि सबसे ज्यादा चुनौती भरा काम जहां पर मंदिर का निर्माण हो रहा है, उसके नीचे की जमीन थी. जब परीक्षण किया गया तो पता चला कि यह वास्तविक मिट्टी नहीं, बल्कि यह मलबा है. एक्सपर्ट्स ने बताया कि इसे 15 मीटर तक खोदना पड़ेगा. इसके बाद, राम मंदिर वाली जगह से सारी मिट्टी निकाली गई और फिर अच्छी मिट्टी से इसे भरा गया. 

कितने सालों तक पूरी तरह सुरक्षित रहेगा राम मंदिर का ढांचा?

राम मंदिर निर्माण के दौरान स्टील का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं किया जाएगा. साथ ही सीमेंट को भी कम-से-कम ही इस्तेमाल में लाया जाएगा. नृपेंद्र मिश्रा ने इसकी जानकारी देते हुए कहा, ''स्टील का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं होना था. सीमेंट का कम-से-कम इस्तेमाल होना तय हुआ था. ऐसे में सीमेंट को 20 फीसदी से कम रखा गया और बाकी चीजों में फ्लाई ऐश, अन्य कैमिकल्स और मिट्टी को लिया गया. हम राम मंदिर के एक हजार साल चलने के लिए प्लानिंग बना रहे हैं. जो भी हमारे मंदिर हैं जोकि 500-800 साल पुराने हैं. उनका परीक्षण किया गया और उसके बाद राम मंदिर को लेकर फैसला लिया गया.''  

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एक दिन में लाखों भक्तों के आने की संभावना

नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि अनुमान लगाया गया कि रामनवमी के दिन एक दिन में पांच से सात लाख तक लोग दर्शन करेंगे. इस हिसाब से एक सेकंड में सात लोगों को दर्शन करना होगा. यही चुनौती है कि एक सेकंड में कैसे लोगों को संतोष होगा कि उन्हें अच्छे दर्शन मिले हैं. इसके लिए तकनीक का सहारा लिया जा रहा है. पूरी अयोध्या में स्क्रीन लगाई जाएंगी, जहां से मंदिर का दर्शन होगा. पूरे अयोध्या में स्क्रीन पर लोगों को दर्शन मिलता रहेगा. इसके अलावा वैज्ञानिक कोशिश करेंगे कि सूर्य की किरणों को एक जगह लाएं और दोपहर 12 बजे रामलला के माथे पर वह किरणे पड़ें. 

'मंदिर को बनाने में जितनी भी चुनौती आ सकती थी, आई'

राम मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन ने आगे कहा कि मंदिर निर्माण के शुरुआत में एक चर्चा चली कि क्या हम पुराने जमाने के लाइम स्टोन का इस्तेमाल करें. इस पर एक्सपर्ट्स ने कहा कि लाइम स्टोन उस समय के लिए था, जब कुछ और विकल्प नहीं था. अब हमारे पास कई विकल्प हैं, जिनका इस्तेमाल किया जा सकता है और उन चीजों का इस्तेमाल हो रहा है. नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि इस मंदिर को बनाने में जितनी भी चुनौती आ सकती है, वह कदम-कदम पर आती रही हैं. 

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