
अयोध्या को ‘वैदिक सिटी’ के तौर पर भव्य रूप देकर दुनिया के आकर्षण का केंद्र बनाने की तैयारी है. इस प्रोजेक्ट को साकार रूप देने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खास दिलचस्पी ले रहे हैं. लक्ष्य यही है कि धार्मिक पर्यटन की थीम पर अयोध्या का विकास किया जाए. विशाल राम मंदिर के निर्माण के साथ अयोध्या में पर्यटकों की आवाजाही बहुत बढ़ने की संभावना है. जाहिर है कि विदेश से भी बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचेंगे. ऐसे में तीर्थनगरी में वर्ल्ड क्लास सुविधाएं विकसित किए जाने पर विशेष ध्यान है.
कैसी होगी अयोध्या वैदिक सिटी?
अंतरराष्ट्रीय तौर पर हिंदुओं की सबसे पवित्र धर्मनगरी के रूप में अयोध्या को बसाने की कोशिश होगी और उसी आधार पर वैदिक सिटी या रामायण सिटी की प्लानिंग की जा रही है. ये भी प्रयास रहेगा कि अयोध्या पर्यावरण की दृष्टि से भी दुनिया के सामने मिसाल बने और काफी हरा-भरा नजर आए. यहां की बिजली व्यवस्था में सोलर एनर्जी की प्रधानता रहेगी. ग्रीन लैंडस्केप मंदिर के आसपास बड़े इलाके में बनाए जाएंगे जिस पर वैदिक रामायण और वैदिक आर्किटेक्चर होंगे. 1,200 एकड़ की इंटीग्रेटेड अयोध्या वैदिक सिटी बनाने के लिए शुरुआत में 1,200 करोड़ रुपए का प्रस्ताव तैयार हो रहा है. अयोध्या का दायरा बढ़ाकर उसमें 347 नए गांव जोड़े जा रहे हैं जो बस्ती और गोंडा से मिलाए जा रहे हैं.

नगर के पुराने मंदिरों और पुरातात्विक महत्व के स्थानों को संरक्षित किया जाएगा. ऐसे स्थानों में मणि पर्वत भी शामिल है जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां सीता जी का दहेज रखा गया. योग और ध्यान के केंद्र के तौर भी अयोध्या को सबसे अनोखा नगर बनाने की तैयारी है.
ग्लोबल कंसल्टेंट के लिए ‘एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट’ का टेंडर निकला
अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज झा के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विशेष आग्रह है कि अयोध्या को वैदिक सिटी के तौर पर विकसित किया जाए. झा ने बताया कि अयोध्या के विकास के लिए ग्लोबल कंसल्टेंट की नियुक्ति होगी. इसके लिए योगी सरकार की ओर से एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट का टेंडर भी निकाल दिया गया है.
जिलाधिकारी झा का कहना है अयोध्या के लिए योजना इस तरह बनाई जा रही है कि ये नगर कई सदियों तक पर्यटकों को अपनी ओर खींचता रहेगा. वैदिक सिटी के रूप में अयोध्या में किन-किन सुविधाओं और इमारतों का निर्माण होगा, ये अंतिम तौर पर सब ग्लोबल कंसलटेंट के साथ तय होगा.

राम मंदिर निर्माण के रफ्तार पकड़ने के सवाल पर जिलाधिकारी ने कहा कि ग्राउंड वर्क में थोड़ा वक्त लगता है लेकिन अयोध्या में बहुत सारी चीजें इस वक्त दिखाई देने लगी हैं. राम की पैड़ी का रिवरफ्रंट लगभग तैयार है जबकि गुप्तार घाट से लेकर पूरी अयोध्या के किनारे सरयू के घाट तैयार किए जा रहे हैं.
अयोध्या में एग्जिबिशन, रामलीला, पार्किंग और दूसरे संत सम्मेलनों के लिए बड़ी-बड़ी जगह भी निकाली जाएंगी. चौरासी कोस का परिक्रमा मार्ग भी अलग तरीके से डेवलप किया जाएगा. कहते हैं कि इसके भीतर पूरी अयोध्या समाती है.
नगर के साधु-संतों ने किया स्वागत
नगर के साधु-संत अयोध्या को वैदिक सिटी के तौर पर विकसित किए जाने के ऐलान से खुश हैं. उनका साथ ही कहना है कि वैदिक सिटी को सभी धर्मों के लोगों के सौहार्द के साथ रहने की पहचान के लिए भी जाना जाए. हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने साधु-संतों के लिए विशेष सुविधाएं दिए की मांग की. साथ ही उन्होंने कहा कि अयोध्या के जो मंदिर जो जर-जर हालत में है, उनको संरक्षित और संग्रहित करने पर विशेष ध्यान दिया जाए.
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हनुमानगढ़ी से सुग्रीव गुफा काफी पास है. सरकारी सूत्रों की मानें तो मणि पर्वत से सुग्रीव गुफा तक रोपवे बनाने की योजना भी पाइपलाइन में है. अयोध्या का बिरला मंदिर दर्शनीय स्थल है. यह राम मंदिर के सबसे करीब है. इस मंदिर में पूजा पाठ के साथ श्रद्धालु ठहरते भी हैं. इस बिरला मंदिर को भी बेहतर तरीके से संजोने का प्लान है.
योगी सरकार जहां अयोध्या को वैदिक सिटी बनाने के लिए कमर कस चुकी है, वहीं इस तीर्थनगरी को कई बड़े डेवेलपमेंट प्रोजेक्ट की सौगात पहले से ही मिल चुकी है. एयरपोर्ट विस्तार को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है. अयोध्या में भव्य श्रीराम एयरपोर्ट बन रहा है. अयोध्या रेलवे स्टेशन का कायाकल्प दिखाई देने लगा है. शहर में अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं वाले बस अड्डे का निर्माण हो रहा है. यहां बड़े होटल खोलने में उद्यमी दिलचस्पी ले रहे हैं. उनके साथ बड़ी धार्मिक संस्थाओं और कंपनियों ने अपने हॉलिडे होम के लिए जगह मांगी है जिसे अयोध्या प्राधिकरण की ओर से मुहैया कराया जाएगा.
क्या होता है वैदिक शहर?
संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय बीएचयू के वेद विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो उपेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि वैदिक सिटी नाम दे देने से कोई भी शहर वैदिक सिटी नहीं हो जाएगा. उनके मुताबिक वर्तमान समय में प्रचार के माध्यम के लिए वेद का इस्तेमाल करना उचित नहीं है. प्रो त्रिपाठी का कहना है कि वेदों में वर्णित नगर नियोजन के मुताबिक अगर शहर का निर्माण होता है तो ही उसे वैदिक शहर कहा जा सकता है.
प्रो त्रिपाठी के मुताबिक समरांगण सूत्रधार ग्रंथ राजा भोज के समय का एक ग्रंथ है. इसमें स्थापत्य के संबंध में नगर नियोजन की चर्चा वैदिक शहर के रूप में की गई है. इसके मुताबिक कई प्राचीन विकसित भी हुए. जैसे सिंधु घाटी की सभ्यता, नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय में मिले अवशेष वैदिक प्रमाण हैं.

प्रो त्रिपाठी ने ये भी कहा, “वेद और वास्तु शास्त्र से संबंधित राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों को इस नगर नियोजन में जोड़ना चाहिए. कंक्रीट के बने भवनों को वैदिक भवन नहीं कहा जा सकता है इसमें वन वनस्पति और औषधियों के और अपशिष्ट से ही छत का निर्माण होता था. ऐसी छत और पिलर की आयु हजारों वर्षों तक रहती है. जबकि आधुनिक निर्माण से निर्मित भवनों की आयु अधिकतम 200 वर्ष ही होती है. वैदिक शहर में वैदिक वास्तु मापदंडों के अनुसार ही यज्ञशाला, व्यामशाला, पाठशाला, कुंड तालाब, बाजार हाट होने चाहिए.
राम मंदिर निर्माण एक साल में दिखने लगेगा
इस बीच रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने दावा किया है कि अगले साल बरसात के मौसम से पहले तक राम मंदिर की नींव, पाइलिंग आदि का काम पूरा हो जाएगा और एक साल में मंदिर निर्माण धरती की सतह पर आ जाएगा. उम्मीद यही है अगले साल जहां राम मंदिर निर्माण जोर पकड़ेगा वहीं अयोध्या वैदिक सिटी के तौर पर विकसित होने की दिशा में रफ्तार पकड़ता नजर आएगा.