इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'लव जेहाद' शब्द को सांप्रदायिक बताकर इसके इस्तेमाल पर रोक लगाने के अनुरोध वाली पीआईएल पर यूपी सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. कोर्ट की लखनऊ बेंच ने संबंधित पक्षों से 10 दिन में अपनी बात रखने को कहा है. कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई की गई है?
जस्टिस इम्तियाज मुर्तजा और जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह की बेंच ने गुरुवार को यह आदेश स्थानीय अधिवक्ता पंकज तिवारी की पीआईएल पर दिया. इसमें बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र को भी पक्षकार बनाया गया है.
याचिका में चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की गुजारिश की गई है कि सूबे के उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ और कलराज मिश्र को चुनाव प्रचार करने से रोक दिया जाए. साथ ही इनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही चलाने का अनुरोध भी किया गया है.
याची के अधिवक्ता सीबी पांडेय की दलील थी कि 'लव जेहाद' शब्द के जरिये नई तरह की सांप्रदायिकता फैलाने और ध्रुवीकरण की कोशिश की जा रही है. इससे देश के दो बड़े समुदायों के बीच कटुता बढ़ रही है. लिहाजा, इस शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगाई जानी चाहिए. पांडेय का कहना था कि 2013 में सूबे में सांप्रदायिक हिंसा की 247 घटनाएं हो चुकी हैं. ऐसे में इस शब्द का प्रचार करना और भी घातक है.