न तो लोकसभा चुनाव के लिए अभी आचार संहिता लगी है और न ही यूपी विधानसभा के चुनाव नजदीक हैं. सूबे की सरकार चाहती तो पूरा बजट ला सकती थी, ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर वह वजह क्या है कि समाजवादी सरकार पूरा बजट लाने से बची और उसने चार महीनों के लिए अंतरिम बजट लाना ही बेहतर समझा. इसके बाद भी न जनता को राहत न विकास की तस्वीर. यही लब्बोलुआब है यूपी सरकार के अंतरिम बजट और लेखानुदान का.
शुक्रवार को वर्ष 2014-15 के लिए पेश 2,59,848 करोड़ के अंतरिम बजट के दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के भाषण में न तो जनता की चिंता दिखी और न ही विकास का विजन. केवल अगले वित्त वर्ष के पहले चार महीने के लिए 93,502 करोड़ रुपये का लेखानुदान मांगा. सदन ने इसे ध्वनिमत से मंजूर भी कर लिया. अखिलेश अंतरिम बजट भाषण के सिर्फ चार पन्ने लेकर विधानसभा में आए थे. करीब 7 मिनट लगे इसे पढ़ने में. किसी भी योजना का इससें जिक्र नहीं था. कुल मिलाकर सरकार के खर्च के लिए 4 महीनों का लेखानुदान 15 मिनट में ही पास हो गया. बाद में विधानपरिषद ने भी इसे मंजूरी दे दी.
सीनियर कैबिनेट मंत्री अंबिका चौधरी कहते हैं कि केंद्र सरकार ने अपना बजट प्रस्तुत नहीं किया है. कई केंद्रीय योजनाओं को बंद करने की बात कही जा चुकी है. इसी तरह कई केंद्रीय योजनाओं में फंड की कटौती की जा रही है. कई योजनाओं की राशि में भिन्नता होगी. अभी केंद्रीय फंड का स्वरूप स्पष्ट नहीं था इसलिए चार माह का लेखानुदान लाया गया है.