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यूपी में आजमाया जाएगा बिहार का फॉर्मूला, AIMIM-BSP साथ लड़ेंगी विधानसभा चुनाव!

AIMIM ने विधानसभा चुनाव के देखते हुए सूबे में संगठन को धार देना शुरू कर दिया है. पिछले एक महीने में करीब 20 जिले में नए जिला अध्यक्ष बनाए गए हैं.

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क्या यूपी में दोहाराया जाएगा बिहार का फॉर्मूला (फाइल फोटो)
क्या यूपी में दोहाराया जाएगा बिहार का फॉर्मूला (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूपी में आजमाया जा सकता है बिहार का फॉर्मूला
  • विधानसभा चुनाव में साथ आ सकती है AIMIM-BSP
  • AIMIM ने यूपी में राजनीतिक आधार बढ़ाने की शुरू की कोशिश

बिहार विधानसभा चुनाव में बीएसपी प्रमुख मायावती और ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी मिलकर भले ही कोई बड़ा करिश्मा न दिखा सके हों, लेकिन आधा दर्जन सीटें जीतने में जरूर कामयाब रहे हैं. यह जोड़ी अब उत्तर प्रदेश में होने वाले 2022 के चुनाव के सियासी रण में दलित-मुस्लिम कार्ड खेलने का दांव चल सकती है. AIMIM ने आगामी चुनाव को देखते हुए बीएसपी के सामने दोस्ती का हाथ भी बढ़ाया है. ऐसे में मायावती अगर ओवैसी के साथ हाथ मिलाती हैं तो सूबे में राजनीतिक दलों के समीकरण गड़बड़ा सकते हैं.

बिहार की जीत से उत्साहित AIMIM ने यूपी में पार्टी के राजनीतिक आधार को बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है. AIMIM ने विधानसभा चुनाव को देखते हुए सूबे में संगठन को धार देना शुरू कर दिया है. पिछले एक महीने में करीब 20 जिले में नए जिला अध्यक्ष बनाए गए हैं. इसके अलावा पार्टी के साथ नए सदस्यों को जोड़ने का अभियान भी तेज कर दिया है. 

AIMIM यूपी अध्यक्ष शौकत अली ने कहा कि यूपी में ओवैसी-मायावती मिलकर ही सांप्रदायिक शक्तियों को सत्ता में आने से रोक सकते हैं. इसके अलावा एसपी, बीएसपी और कांग्रेस कोई भी अकेले बीजेपी को नहीं रोक सकती है. शौकत अली ने कहा कि यूपी में दलित और मुस्लिम दोनों समुदाय की समस्या एक जैसी ही है और आबादी भी तकरीबन बराबर है. हमने तो पिछले चुनाव में भी बीएसपी के साथ गठबंधन करने की कोशिश की थी, लेकिन उस वक्त नहीं हो पाया. बिहार चुनाव में एक पॉलिटिकल एक्सपेरिमेंट हो चुका है और सफल रहा है तो यूपी में भी उसे आजमाना चाहिए. 

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उन्होंने कहा कि यूपी में करीब 21 फीसदी दलित और 20 फीसदी मुस्लिम हैं. ऐसे में दलित मुस्लिम मिलकर बीजेपी को सत्ता में आने से रोक सकते हैं. हमारी पार्टी शुरू से ही दलित मुस्लिम एकता पर काम करती रही है. महाराष्ट्र और बिहार में इसे जमीन पर उतारने की कोशिश सफल रही है. बीएसपी बिना किसी सहारे के आगामी विधानसभा चुनाव में अच्छा परफॉर्म करने की स्थिति मे नहीं है.

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बीएसपी उत्तर प्रदेश में नए जातीय समीकरण को बनाने में जुटी है. मुस्लिम वोटों पर बहुत ज्यादा फोकस करने के बजाय अति पिछड़ा वोटर को टारगेट कर रही है. इसी दिशा में उन्होंने भीम राजभर को पार्टी की कमान सौंपी है. इसके अलावा हाल ही में हुए उपचुनाव में बीएसपी ने बुलंदशहर सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी को उतारा था और वो दूसरे नंबर पर रही. 

बीएसपी नेता ने अपना नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि बीएसपी में ओवैसी के साथ गठबंधन करने को लेकर विचार विमर्श किया जा रहा है, लेकिन अभी कोई ठोस निर्णय नहीं है. हाल में जिस तरह से मुस्लिम विधायकों ने पार्टी से बागवात की है, उसके बाद मायावती ने मुस्लिम को साधने के लिए अलग रणनीति बनाई है. इसी रणनीति के तहत ओवैसी के साथ गठबंधन करने का फॉर्मूला है. इस तरह दलित-मुस्लिम का मजबूत सियासी कार्ड खेलकर बीएसपी यूपी में अपने विरोधियों को कड़ी चुनौती दे सकती है.  

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