केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 2016-17 के लिए उत्तर प्रदेश में मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के तहत आलू की खरीद के लिए मंजूरी दे दी है. राज्य की एजेंसियां अधिकतम एक लाख मीट्रिक टन आलू की खरीद कर सकती हैं.
आलू की यह खरीद प्रति मीट्रिक टन 4870 रूपये की दर से की जाएगी. सरकार अतिरिक्त खर्चों यथा परिवहन के सेस, मंडी करों और गोदाम प्रभारों के लिए प्रति मीट्रिक टन अथवा वास्तविक वजन जो भी कम हो के लिए 1217.50 रूपये प्रति मीट्रिक टन अतिरिक्त तौर पर उपलब्ध कराएगी. राज्य की एजेंसियों के परामर्श से राज्य सरकार के खरीद के केंद्रों का निर्धारण किया जाएगा.
मंडी मध्यस्थता योजना को राज्य की एजेंसियां लागू करेंगी. बिचौलिए इस स्कीम का लाभ न उठा पाएं इसके लिए सहकारी समितियों और किसान संगठनों से डायरेक्ट आलू की खरीददारी की जाएगी. राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि आलू की खरीद केवल वास्तविक किसानों से ही की जाए.
खरीदे गएं आलू के स्टॉक को खुले बाजार में इस उद्देश्य के साथ बेचा जाएगा जिससे उनका अधिकतम मूल्य प्राप्त हो सके. यदि आवश्यक हुआ तो इन्हें राज्य के भीतर स्थित प्रसंस्करण इकाईयों को भी बेचा जा सकता है. राज्य की एजेंसियां यह भी प्रयास करेगीं कि प्रसंस्करण के बाद खरीदे गए आलू का निर्यात किया जाए.
खरीदे गए आलू को दोबारा खरीदे जाने से बचने के लिए आलूओं के स्टॉक को उसी राज्य में नहीं बेचा जाएगा जहां से उन्हें स्कीम की अवधि के दौरान प्राप्त किया गया है. हालांकि यदि इसकी बेहतर कीमत मिलेगी तो उन्हें वहां भी बेचा जा सकता हैं.
किसानों को खरीद के लिए आलू के बदले वस्तु से भुगतान की अनुमति नहीं दी जाएगी. जहां तक संभव होगा, किसानों को गैर-नकदी लेन-देन के जरिए भुगतान किया जाएगा और बिक्री संबंधी रसीदों को केवल बैंकिंग चैनल, विशेष रूप से डिमांड ड्राफ्ट के जरिए ही संपादित किया जाएगा.