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अखिलेश यादव ने किया यमुना एक्‍सप्रेस वे का उद्घाटन

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नोएडा से आगरा के लिए बने यमुना एक्‍सप्रेस वे का उद्घाटन कर दिया. अब दिल्‍ली से आगरा जाने में महज दो घंटे का वक्‍त लगेगा.

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नोएडा से आगरा के लिए बने यमुना एक्‍सप्रेस वे का उद्घाटन कर दिया. अब दिल्‍ली से आगरा जाने में महज दो घंटे का वक्‍त लगेगा.

महज दो घंटे में दिल्ली से आगरा तक के सफर में सुपरस्पीड का रोमांच है तो सुविधाओं की भी भरमार है. यमुना एक्सप्रेस-वे पर आपकी हर सुविधा का खयाल रखा गया है. लेकिन इसके लिए जेब थोड़ी ज्यादा ही ढीली करनी पड़ेगी. यमुना एक्सप्रेसवे-वे पर जेवर, मथुरा और आगरा में टोल प्लाजा बनाए गए हैं. लोगों के पास ये ऑप्शन होगा कि वे एक जगह पर ही आगरा तक टोल दे सकते हैं.

टोल टैक्‍स की दरें इस प्रकार हैं....
- दो पहिया वाहनों के लिए अलीगढ़ तक 50 रुपये, मथुरा तक 100 रुपये और आगरा तक के लिए 150 रुपये टोल लगेगा.
- कार के लिए अलीगढ़ तक 100 रुपये, मथुरा तक 200 रुपये और आगरा तक के लिए 300 रुपये टोल लगेगा.
- मिनी बस के लिए अलीगढ़ तक 150 रुपये, मथुरा तक 350 रुपये और आगरा तक के लिए 500 रुपये टोल लगेगा.
- बस के लिए अलीगढ़ तक 300 रुपये, मथुरा तक 700 रुपये और आगरा तक के लिए 1000 रुपये टोल लगेगा.

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हर टोल प्लाजा पर एक फूड प्लाजा है, एक हेल्थ सेंटर जिसमें एक डॉक्टर और दो एंबुलेंस 24 घंटे मिलेंगी. पेट्रोल-डीजल के हर टोल प्लाजा पर 4 मोबाइल टैंकर, वॉटर टैंकर. हादसे के बाद गाड़ियों को हटाने के लिए 2 क्रेनों का इंतजाम है. जनसुविधाओं का भी पूरा इंतजाम है. लोगों की मदद के लिए एक्स्प्रेस-वे पर हर 2 किमी पर दोनों और ऑटोमेटिक टेलीफोन बूथ लगे हैं जिनसे टोल फ्री नंबर 18001027777 पर कॉल सेंटर को फोन किया जा सकता है. एक्सप्रेस-वे पर सुरक्षा का भी खास ध्यान रखा गया है. हर 5 किमी पर सीसीटीवी लगे हैं.

एक्‍सप्रेस वे पर खतरे भी कम नहीं....
यमुना एक्सप्रेस वे, रफ्तार का नया नाम. एक ऐसा हाइवे जो 5 घंटे के सफर के वक्त को आधे से भी कम कर रहा है. और इस रोमांच भरे सफर का शहरी हो या गांव का किसान हर कोइ मुरीद हो रहा है. लेकिन यही रफ्तार जानकारों की नज़र में इसके लिए सबसे बड़ा खतरा है. हांलांकि 100 की रफ्तार पर भी नज़र रखने के लिए इस हाइवे पर तमाम तरह के इंतज़ाम करने की योजना है.

लेकिन इन सब इंतज़ामों के बाद भी जानकारों का कहना है इस 165 किलोमीटर लंबे कॉरीडोर में कोइ ट्रॉमा सेंटर नहीं है जो सबसे बड़ी चिंता का विषय है. विदेशों में जहां कहीं इस तरह के हाइवे बने है या जहां कहीं हादसों में हुई मौतों की तादाद कम हुई है वहां इन रास्तों पर मेडिकल सुविधाओं को सबसे पहले तरजीह दी गई है.

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एक चिंता दुपहिया वाहनों को लेकर भी है क्योंकि किसी भी हाइवे पर टू व्हीलर की इजाज़त नहीं होती है. तो क्या ऐसे मे ये स्कूटर बाइक रफ्तार की राह में रोड़ा नही बनेंगे? तीसरा बड़ा खतरा है जानवरों का है. इस हाइवे पर कभी भी आपकी गाड़ी के सामने जानवर भी आ सकते हैं और ये सूचना तमाम जगह बाकायदा बोर्ड पर लगी है.

अचानक जानवर सामने आ जाए तो 100 की स्पीड से आ रही गाड़ी की रफ्तार पर ब्रेक लगाना और एक्सीडेंट से बचना बड़ी चुनौती है, क्योंकि हाइवे के दोनो तरफ जानवरों को रोकने के पर्याप्त इंतजाम नही हैं. एक दिक्कत रात में सफर करने पर भी आएगी, वो है दोनों तरफ से आ रही गाड़ियों की तेज रोशनी. क्योंकि डिवाइडर पर पौधे लगाने का काम अभी चल ही रहा है.

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