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यूपी में BJP का OBC दांव, कर्पूरी ठाकुर के नाम पर हर जिले में होगी सड़क

यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने यूपी के हर जिले में एक सड़क का नाम बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के नाम पर रखना शुरू कर दिया है. कर्पूरी ठाकुर अति पिछड़ों के मसीहा माने जाते हैं. ऐसे में सपा-बसपा की एकता को ध्वस्त करने की रणनीति के तौर पर इसे देखा जा रहा है.

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अतिपिछड़ा सम्मेलन में केशव प्रसाद मौर्य
अतिपिछड़ा सम्मेलन में केशव प्रसाद मौर्य

2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा की एकता को ध्वस्त करने के लिए बीजेपी ने ओबीसी मतों को साधने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. मोदी सरकार ने जहां ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा देने का काम किया है. वहीं, यूपी की योगी सरकार ने सूबे की हर जिले में एक सड़क का नाम ओबीसी के मसीहा माने जाने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के नाम पर रखने का फैसला किया है.

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में गुरुवार को कहा कि प्रदेश के हर जिले में कम से कम एक सड़क का नाम बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के नाम पर रखा जाएगा. योगी सरकार के इस कदम के राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे हैं.

बीजेपी ने यूपी में ओबीसी के हर जाति का सम्मेलन शुरू किया है. इसी कड़ी में गुरुवार को लखनऊ में पिछड़ा मोर्चा सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इसमें प्रदेश के हर जिले से नाई समाज के दस-दस प्रतिनिधि आए थे.

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बता दें कि कर्पूरी ठाकुर नाई समाज से आते हैं. वे बिहार में सामाजिक न्याय के सबसे बड़े मसीहा के तौर पर ओबीसी समुदाय में जाने जाते हैं.

यूपी में सड़क को कर्पूरी ठाकुर के नाम से रखने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. सूबे के फुलपूर जिले में एक सड़क का नाम कर्पूरी ठाकुर के नाम पर कर दिया गया है. यूपी की जिलों में सड़कों को चिन्हित करने का काम शुरू हो गया है. माना जा रहा है कि एक महीने के अंदर प्रदेश के हर जिले में कम से कम एक सड़क का नाम कर्पूरी ठाकुर के नाम पर रखा दिया जाएगा.

केशव मौर्य ने कहा कि विपक्षी पर्टियां मोदी को रोकने की नाकाम कोशिश कर रही हैं. देश का गरीब, दलित, पिछड़ा, वंचित, किसान, नौजवान सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ईमानदारी के साथ गरीबों के लिए काम कर रहे हैं.

बता दें कि कर्पूरी ठाकुर ने ही साल 1978 में बिहार में सबसे पहले सरकारी नौकरियों में 26 प्रतिशत आरक्षण लागू किया था. इसमें 12 प्रतिशत अति पिछड़ों के लिए सुरक्षित किया था. 8 प्रतिशत पिछड़ों के लिए. बिहार के सीएम नीतीश कुमार अब भी अगर आरक्षण लागू करते हैं तो अतिपिछड़ों को ज्यादा और पिछड़ों को कम आरक्षण देते हैं. इसी फॉर्मूले के जरिए नीतीश कुमार बिहार की सत्ता पर काबिज हैं.

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बीजेपी के अंदर एसपी और बीएसपी महागठबंधन को लेकर खलबली मची हुई है. पिछले कुछ दिनों से इसकी सुगबुगाहट से ही बीजेपी नेताओं में खलबली मची हुई है. बीजेपी यह जानती है कि सवर्णों का साथ है, लेकिन सिर्फ सवर्ण वोटों के सहारे सत्ता में वापसी संभव नहीं है.

यूपी में ओबीसी बीजेपी के कोर वोटर्स रहे हैं. अगर एसपी और बीएसपी का गठबंधन बनेगा तो इस वर्ग में सेंध लगेगी. ऐसे में बीजेपी कर्पूरी ठाकुर जैसे उन तमाम नेताओं के नाम को भुनाने में जुट गई है, जिसे एसपी और बीएसपी ने अपने शासनकाल में भुला दिया था. माना जा रहा है कि अतिपिछड़ा वर्ग में बीजेपी की छवि बेहतर होगी.

केशव प्रसाद मौर्य को ओबीसी जातीय सम्मेलन की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उत्तर प्रदेश में तमाम पिछड़ी जातियों का जातिवार सम्मेलन शुरू कर दिया है.

पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के इस फरमान के बाद बीजेपी जातिवार मीटिंग करने में जुटी है. पिछले कुछ दिनों में लखनऊ में बीजेपी ने प्रजापति यानि कुम्हार, नाई और राजभर जैसे अति पिछड़ी जातियों का सम्मेलन किया है और अगले कुछ दिनों में दूसरी जातियों का भी सम्मेलन बुलाने जा रही है.

सभी सम्मेलनों में केशव मौर्य और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मोदी सरकार के नीतियों और कार्यक्रमों को उनके सामने रखा. बीजेपी इन जाति जुटाकर ये संदेश देना चाहती थी कि सब कुछ एक तरफ और जाति की गोलबंदी एक तरफ.

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