कोरोना वायरस के चलते लागू देशव्यापी लॉकडाउन की वजह फलों का राजा कहा जाने वाला आम भी आम लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है. हालांकि अभी कच्चे आम का सीजन है, लेकिन लॉकडाउन के चलते सब्जी और फल मंडियां बंद हैं. जिसके चलते आम के कारोबारी बदहाली के कगार की तरफ बढ़ रहे हैं और उनको इस साल भारी नुकसान होने की आशंका सताने लगी है.
यह तस्वीरें पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के दुलहीपुर इलाके में स्थित एक आम के बगीचे की हैं. अपने बगीचे में आम की रखवाली करते यह हैं लाल बहादुर सोनकर और लालजी सोनकर. ये दोनों भाई मूल रूप से वाराणसी के रहने वाले हैं और पिछले कई सालों से यह आम के कारोबार से जुड़े हुए हैं. चंदौली के इस आम के बाग को इन्होंने आठ लाख रुपये में किराए पर ले रखा है. लेकिन लॉकडाउन की वजह से इनको इस बात की चिंता सता रही है कि प्रॉफिट की बात छोड़ दीजिए इनका मूलधन भी इस साल निकल पाएगा या नहीं?
हालांकि आम अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है. लेकिन अपने आप पेड़ से गिरे हुए इन छोटे-छोटे छोटे आमों की भी बाजारों में अच्छी कीमत मिलती है. लोग छोटे आमों का उपयोग चटनी आदि बनाने के लिए तो करते ही हैं. इसके साथ साथ अचार और खटाई बनाने वाली कंपनियां भी इन आमो को अच्छी कीमत पर खरीदती हैं. लेकिन लॉकडाउन के चलते सब्जी और फल मंडियां बंद हैं. जिसकी वजह से इन आमों की डिमांड बिल्कुल ही नहीं है.
गौरतलब है कि इस बगीचे के आम वाराणसी और चंदौली की सब्जी और फल मंडी और सहित आसपास के कई जिलों में भेजे जाते हैं. लेकिन लॉकडाउन ने सब कुछ लॉक करके रख दिया है और आम बगीचे से बाहर नहीं भेजा जा पा रहा है. इन आम के कारोबारियों का कहना है कि अगर यही हालात रहे और लॉकडाउन की समयसीमा एक बार फिर से बढ़ा दी गई तो इनको बर्बाद होने से कोई बचा नहीं सकता.
लालजी सोनकर कहते हैं, 'लॉकडाउन की वजह से हम लोगों का आम मार्केट में नहीं पहुंच पा रहा है. उसके वजह से हम लोगों का बहुत ज्यादा नुकसान हो रहा है. यह जो टिकोरा गिरता है इसको हम लोग मार्केट में भेजते हैं तो अच्छा पैसा मिलता है. हालांकि अभी तो आम को तैयार होने में 1 महीने का समय है. लेकिन इस टिकोरे से भी अच्छा पैसा मिलता है. कंपनी में जाता है, अचार वगैरह बनता है. ऐसे भी गली गली में बिकता है चटनी वगैरह के लिए. यह महंगा बिकता है लेकिन इस टाइम इसका कोई रेट नहीं है. बगीचे में सब इसी तरह से सड़ रहा है. लॉकडाउन अगर और बढ़ा तो 100 परसेंट मान लीजिए कि हमारा 90 परसेंट नुकसान हो जाएगा.
लाल बहादुर सोनकर का कहना है कि आने वाले समय में तो हम लोगों को समझ में नहीं आता है कि अगर लॉकडाउन आगे चला तो हम लोगों का आम सेल नहीं हो पाएगा. यह छोटा आम जो गिरता है वह चटनी के काम में आता है गुरमा बनाते हैं खटाई बनाते हैं. अभी आम यहां ऐसे ही पड़ा है. न मंडी में जा पा रहा है. यह पंचकोशी, चंदुआ सट्टी, मुगलसराय आदि जाता था लेकिन अभी लॉकडाउन की वजह से कहीं नहीं जा पा रहा है.