विदेशों से जब भारतीय स्वदेश लौटते थे तो उनके चेहरे पर मुस्कान होती थी लेकिन इस बार कोरोना वायरस की महामारी ने सब कुछ बदल दिया है. कई भारतीय कोरोना महामारी से उपजे आर्थिक संकट के चलते अपनी नौकरी गंवा चुके हैं और उनके पास देश लौटने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा है. भारत सरकार गुरुवार से विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने का ऑपरेशन शुरू करने जा रही है.
यह ऑपरेशन काफी बड़े पैमाने पर किया जाएगा. पहले चरण में तमाम देशों से 15000 भारतीयों को लाने के लिए 64 फ्लाइट और तीन नेवी शिप भेजी जाएंगी. भारतीय नागरिकों की वापसी से केरल राज्य सबसे ज्यादा चिंतित है क्योंकि इनमें से ज्यादातर केरल से ही हैं. ऑपरेशन के पहले चरण में केरल में 2250 लोगों की वापसी होगी.
कोरोना वायरस की लड़ाई में केरल सबसे अग्रणी राज्य बनकर उभरा है. भारत में कोरोना वायरस का सबसे पहला केस केरल में ही आया था लेकिन अब उसने स्थिति नियंत्रित कर ली है. केरल का कोरोना संक्रमण से रिकवरी रेट पूरे देश में सबसे ज्यादा है. अब केरल के सामने नई चुनौती बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीयों की वापसी है.
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने इस चुनौती को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिठ्ठी भी लिखी है. केरल सीएम ने बताया कि उन्होंने पीएम मोदी से सभी भारतीयों के फ्लाइट में बैठने से पहले कोरोना टेस्ट कराए. हमने पीएम मोदी को यह भी याद दिलाया है कि इटली और ईरान से भी यात्रियों को भी कोरोना टेस्ट के बाद भारत लाया गया था. अगर केंद्र सरकार तैयार नहीं है तो हम अपनी मेडिकल टीम भेजने के लिए भी तैयार हैं.
सीएम ने कहा, अगर फ्लाइट में बैठने वालों में से एक या दो व्यक्ति भी कोरोना वायरस से संक्रमित हैं तो सभी यात्रियों को खतरा हो सकता है. इससे ना केवल केरल में बल्कि पूरे देश भर में संक्रमण तेजी से फैल सकता है. ये जरूरी है कि हमारे भाई घर लौटें लेकिन हमें सुरक्षा के स्तर पर और प्रोटोकॉल में किसी भी तरह की ढील नहीं देनी चाहिए. हमने केंद्र सरकार से अपने फैसले की समीक्षा करने के लिए कहा है.
7 मई से 13 मई के बीच, भारत यूएई से 10 फ्लाइट्स, अमेरिका, यूके, बांग्लादेश और मलेशिया से पांच फ्लाइट्स, सऊदी अरब, सिंगापुर, कुवैत और फिलीपींस से पांच फ्लाइट और कतर ओमान और बहरीन से दो फ्लाइट्स ऑपरेट करेगा. कुल 64 फ्लाइट्स में से 15 फ्लाइट्स सिर्फ केरल के लिए होंगी. उसके बाद दिल्ली और तमिलनाडु के लिए 11 फ्लाइट्स रवाना होंगी.
विदेश से भारतीयों को वापस लाने का यह अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन हो सकता है. आने वाले वक्त में करीब 2 लाख भारतीय विदेशों से लाए जाएंगे. इससे पहले 1990 में जब कुवैत पर इराक का हमला हुआ था तो भारत सरकार ने वहां से 1.7 लाख भारतीयों को एयरलिफ्ट कराया था.
विश्लेषकों को आशंका है कि विदेशों में भारतीयों के नौकरी गंवाने और देश लौटने से केरल की अर्थव्यवस्था के सामने भी संकट खड़ा हो सकता है. केरल उन राज्यों में से है जिसे अच्छा खासा रेमिटेंस (प्रवासी भारतीयों द्वारा घर भेजा गया पैसा) हासिल होता है. यानी आर्थिक मोर्चे पर भी केरल को बड़ी चुनौती से निपटना होगा.