scorecardresearch
 

बच्चों और युवाओं की मौत के आंकड़े में कौन सच्चा, WHO या सरकार?

सड़क सुरक्षा पर आधारित ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट में भारत की स्थिति सबसे खराब आई है. यहां सड़क दुर्घटना में सबसे अधिक मौत होती हैं, यह रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से तैयार की गई है.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक तस्वीर (इंडिया टुडे आर्काइव)
प्रतीकात्मक तस्वीर (इंडिया टुडे आर्काइव)

क्या सड़क हादसों में होने वाली मौतों के आंकड़े को सरकार जानबूझकर कम दिखा रही है? या फिर इसके पीछे कोई तकनीकि वजह है? सड़क सुरक्षा पर आधारित विश्व स्वास्थ संगठन यानी WHO की ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट 2018 में कहा गया है कि पिछले साल सड़क हादसे की वजह से देश में करीब तीन लाख मौतें हुई हैं, जो भारत सरकार के सरकारी आंकड़ों से दोगुना हैं. सरकार की रिपोर्ट में ये आंकड़ा डेढ़ लाख है.

भारत सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार 2016 में भारत में सड़क हादसों में करीब डेढ़ लाख (150785) लोगों की मौत हुई. जिसमें 85% पुरुष और 15% महिलाएं शामिल हैं. जबकि डब्ल्यूएचओ का दावा है कि 2,99,091 (करीब 3 लाख) से ज्यादा लोगों ने सड़क हादसों में जान गंवाई है. जिसमें मुख्य रूप से 5 से 14 साल के बच्चे और 15 से 29 साल के युवा मौत के मुंह में समा गए.

Advertisement

रोड सेफ्टी एक्सपर्ट पीयूष तिवारी ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि हर साल करीब तीन लाख बच्चों की मौत हो जाती है. इसके 2 बड़े कारण हैं, रोड इंजीनियरिंग डिजाइन का ना होना और इमरजेंसी केयर का सही से प्रावधान ना होना.

नया मोटर व्हिकल अमेंडमेंट बिल राज्यसभा में फंसा हुआ है. जिसमें पहली बार चाइल्ड सीट बेल्ट, एडल्ट अकाउंटबिलिटी, स्कूल ड्राइवर, वैन ड्राइवर या फिर पैरेंट की बच्चों की सुरक्षा को लेकर ट्रेनिंग पर ज्यादा ज़ोर दिया गया है.

Advertisement
Advertisement