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शराबबंदी: SC के आदेश से बचने को नए नुस्खे अपना रहीं राज्य सरकारें

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा हाइवे पर शराब की ब्रिकी को लेकर लगाई गई रोक से अधिकतर राज्य सरकारें परेशान हैं. कोर्ट का आदेश था कि हाइवे व उसके आस-पास के 500 मीटर इलाके में शराब की बिक्री नहीं होनी चाहिए, और सभी शराब की दुकानें बंद होनी चाहिए.

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शराबबंदी को टालने के नये तरीके अपना रही हैं सरकारें
शराबबंदी को टालने के नये तरीके अपना रही हैं सरकारें

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा हाइवे पर शराब की ब्रिकी को लेकर लगाई गई रोक से अधिकतर राज्य सरकारें परेशान हैं. कोर्ट का आदेश था कि हाइवे व उसके आस-पास के 500 मीटर इलाके में शराब की बिक्री नहीं होनी चाहिए, और सभी शराब की दुकानें बंद होनी चाहिए. लेकिन अब अधिकतर राज्य सरकारें इसका उपाय खोजने में लग चुकी हैं. इसको लेकर राज्य सरकारों, रेस्तरां मालिकों और शराब की बिक्री करने वालों ने फैसले की काट निकाल ली है.

राजमार्गों से वापिस लिया हाइवे का दर्जा
अभी तक राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ के राजमार्गों को डिनोटिफाई कर दिया गया है, और अन्य राज्य की सरकारें भी जल्द ऐसा कर सकती हैं. ऐसा करने से इन राजमार्गों के पास हाइवें का दर्जा नहीं रहेगा, और यह सभी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अंतर्गत नहीं आ पाएगें. जिससे शराब की दुकानों को कोई परेशानी नहीं होगी.

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महाराष्ट्र, बंगाल भी ऐसा करने की तैयारी में
इन राज्यों के अलावा महाराष्ट्र की बीजेपी-शिवसेना सरकार भी जल्द ही ऐसा कर सकती है, तो वहीं पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार भी इसको लेकर योजना बनाने में जुटी है. उत्तर प्रदेश में कई जगह ऐसी भी हैं जहां शराब की दुकानों को हाइवे से लगभग 500 मीटर से ज्यादा की दूरी पर शिफ्ट कर दिया गया है. यूपी सरकार के द्वारा 31 मार्च को जारी किये गये आदेश में स्टेट हाइवे के बाइपासों को अब जिला मार्ग घोषित कर दिया गया है.

बार और रेस्तरां वालों ने भी लगाया जुगाड़
राज्य सरकारों के साथ-साथ इस दायरे में आने वाले बार और रेस्तरां वालों ने भी कई जुगाड़ लगाने शुरू कर दिये हैं. हाइवे के पास वाले बार-रेस्तरां अपना एंट्री गेट ही बदल रहे हैं, जिससे वह 500 मीटर की दूरी के बाहर आ जाएंगे.

अब पालिकाएं संभालेंगी सड़कें
राज्य सरकारों द्वारा सभी राज्य मार्गों को जिला मार्ग बनाये जाने के बाद अब इनका जिम्मा शहर की नगर पालिकाओं पर आ जाएगा. चूंकि पहले ये सभी राजमार्ग सीधा राज्य सरकार के अंतर्गत आते थे, लेकिन अब यह नगरपालिकाओं के अंतर्गत ही आएंगे.

पैसों का है सवाल
गौरतलब है कि शराब के द्वारा राज्य सरकारों को सबसे ज्यादा टैक्स मिलता है. यही कारण है कि अधिकतर राज्य सरकारें इस जुगाड़ में लगी हैं कि किसी तरह शराब की बिक्री को बचाया जा सके. ताकि राज्य के राजस्व पर कोई असर ना पड़े.

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