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पहले भी दिखा चुके हैं पाक सैनिक ऐसी बर्बरता

वैसे तो सितंबर, 2003 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री परवेज मुशर्रफ के बीच हुए संघर्षविराम समझौते का कई बार उल्लंघन हो चुका है कि लेकिन इस बार 8 जनवरी को इसकी सबसे बुरी तरह से धज्जियां उड़ाई गई.

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वैसे तो सितंबर, 2003 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री परवेज मुशर्रफ के बीच हुए संघर्षविराम समझौते का कई बार उल्लंघन हो चुका है कि लेकिन इस बार 8 जनवरी को इसकी सबसे बुरी तरह से धज्जियां उड़ाई गई. 8 जनवरी को पाकिस्तानी सैनिकों ने युद्धविराम का उल्लंघन कर भारतीय सीमा में घुसकर पुंछ में दो भारतीय जवानों की गला रेतकर हत्या कर दी और एक का सिर काटकर अपने साथ ले गए.

2012 में करीब 120 बार संघर्षविराम का उल्लंघन हुआ है. 2003 के बाद ये किसी वर्ष में सर्वाधिक है. जानकारी के मुताबिक पाकिस्तानी सेना इस तरह की फायरिंग करके आतंकवादियों को कवर देती है.

लेकिन पाकिस्तानी सैनिकों ने इस तरह की क्रूरता कोई पहली मर्तबा नहीं दिखाई है बल्कि इससे पहले भी वह ऐसा बर्बर कृत्य कर चुकी है. सर काट कर उसे अपनी जीत की ट्राफी की तरह ले जाना पाकिस्तानी सैनिकों का वर्चस्व दिखाने का तरीका रहा है. भारतीय सेना ने ही इस तरह के छुपे हुए हमलों को गोपनीय रखा.
- 30 जुलाई, 2011 को कुपवाडा़ में पाकिस्तानी कमांडों ने एलओसी में घुसकर तीन सैनिकों की हत्या कर दी. इनमें से 2 जवानों के सिर काट दिए और एक का सिर ले गए.
- फरवरी, 2000 में राजौरी में पाकिस्तानी सैनिकों ने 7 भारतीय जवानों को मौत के घाट उतार दिया. इनमें से एक का सिर काटकर वह अपने साथ ले गए.

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सेना की उत्तरी कमांड के प्रवक्ता ने बताया कि पाकिस्तानी घुसपैठ को रोकने के लिए दोनों जवानों ने प्राण न्यौछावर कर दिए. नई दिल्ली में एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि दोनों जवानों का शव क्षत-विक्षत हालत में मिला. लेकिन बाद में उन्होंने निजी तौर पर सिर कटने की बात मानी. रक्षा मंत्री ए. के. एंटनी ने इस घटना को उकसाने वाली करार दिया. वहीं शिव सेना ने एंटनी से इस्तीफा मांगा.

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