आज तक के साप्ताहिक कार्यक्रम सीधी बात में बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि रेल किराया बढ़ाना मजबूरी था. उन्होंने कहा, ‘फिलहाल चीजों का दाम बढ़ना कांग्रेस की दी हुई विरासत का नतीजा है. हमें पांच साल के लिए जनादेश मिला है. हमें लोगों का दुख दूर करने का मौका मिला है. मोदी जनता का दुख दूर करेंगे. अगर जनता ने मोदी में विश्वास दिखाया है, तो मोदी भी जनता के विश्वास को नहीं तोड़ेंगे नहीं. लोगों को यकीन है मोदी अच्छे दिन लाएंगे.’
इस सवाल पर कि कहां गए वो तमाम अच्छे दिनों के वादे? एक के बाद चीजों के दाम बढ़ गए, रेल भाड़े में भी 14 प्रतिशत का इजाफा कर दिया गया है, ऐसा पिछले 15 सालों में नहीं हुआ. शाहनवाज ने जवाब में कहा ‘पहली बार देश को इतना मेहनती प्रधानमंत्री मिला है. मोदी ख़ुद चीजों के बढ़ते दाम को मॉनिटर कर रहे हैं. अगर कोई और सरकार होती तो इस वक़्त महंगाई आसमान छू रही होती. हमने कीमतों पर काबू किया है. रही बात रेल भाड़े की तो हालात देखते हुए ऐसा करना पड़ा.’
जब उनसे पूछा गया कि साल 2012 में मोदी ने खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखकर रेल भाड़ा बढ़ाने पर एतराज जताया था, अब वो खुद क्यों ऐसा कर रहे हैं? तो शाहनवाज ने कहा, ‘देखिए रेलवे की हालत बहुत अच्छी नहीं है. रेल हादसे हो रहे हैं, रेलवे 10 लाख करोड़ के घाटे में है. किराया बढ़ा कर कांग्रेस से मिली विरासत को हम सुधार रहे हैं.’
कांग्रेस जैसे ही बहाने बनाने के इल्जाम पर शाहनवाज हुसैन ने कहा, ‘हमने महंगाई को कंट्रोल भी किया है. बहुत सी चीजों के दाम कम भी हुए हैं. लोहे और सीमेंट का दाम कम हुआ है. बाजार में मिलने वाले गैस सिलेंडर के दाम में 23 रुपये की कमी हुई है.’ जब उनसे पूछा गया कि तेल का दाम बढ़ गया है, अब बिजली का दाम कब बढ़ाने वाले हैं तो उन्होंने कहा, ‘तेल का दाम तो खाड़ी देशों में आई समस्या की वजह से बढ़ाना पड़ा. लेकिन एक बात का हम आपसे वादा करते हैं कि जिस तरह से कांग्रेस के शासन में आम आदमी की जिंदगी सस्ती हो गई थी वैसा हमारी हुकूमत में नहीं होगा.’
महिला सुरक्षा और मंत्री निहालचंद मेघवाल के मामले में पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा किे निहालचंद मेघवाल पर तमाम आरोप झूठे हैं. किसी भी एफआईआर में मेघवाल का नाम नहीं है. मंत्री बनने के बाद मेघवाल के ख़िलाफ ये साजिश की जा रही है. उन्होंने कहा पहले क्यों नहीं आरोप लगे और उस वक्त तो राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी. कांग्रेस ने क्यों नहीं कार्रवाई की मेघवाल के खिलाफ, क्यों नहीं जांच की.
ये बताए जाने पर कि पीड़ित महिला ने कांग्रेस के कुछ पदाधिकारियों पर भी आरोप लगाया था. इसलिए कांग्रेस मामला नहीं उठाना चाह रही थी. आप एफआईआर में मेघवाल का नाम ना दर्ज ना होने की बात कर रहे हैं तो फिर अदालती समन पर क्या कहेंगे? उन्होंने कहा, ‘मेघवाल को हर स्तर पर क्लीन चिट मिली है. चाहे वो पुलिस की जांच हो या फिर अदालत की. इन सबके बावजूद उनके पास मंत्री बनते ही समन आया है तो इससे साफ जाहिर हो रहा है कि ये सब किसी साजिश के तहत किया जा रहा है. एक बात साफ है कि हम आरोपी को बचाएंगे नहीं और निर्दोष को फंसने नहीं देंगे और मेघवाल निर्दोष हैं.’
यूपीए के नियुक्त किए गए राज्यपालों को इस्तीफा देने के लिए गृह सचिव के फोन करने के सवाल पर शाहनवाज बोले, ‘हम किसी भी राज्यपाल को जबरदस्ती नहीं हटा रहे हैं. ना ही इस तरह का उन पर कोई दबाव बनाया जा रहा है. सच तो ये है कि सरकार ऐसा कर भी नहीं सकती.’ लेकिन ये ध्यान करवाए जाने पर कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने बाकायदा में मीडिया में इंटरव्यू दिया है कि उनको फोन करके इस्तीफ़ा देने का दबाव बनाया गया. उन्होंने कहा, क्या आपको नहीं लगता कि महामहिम को ऐसा इंटरव्यू नहीं देना चाहिए था. हम कांग्रेस की तरह गवर्नर हटाने पर विश्वास नहीं रखते. लेकिन यूपीए के दौर के राज्यपालों को अपनी अंतरात्मा की आवाज को सुनना चाहिए और सही फैसला लेना चाहिए. क्योंकि राज्यपाल की नियुक्ति राजनैतिक होती है और अब देश में सत्ता बदल चुकी है. राजनीतिक तस्वीर दूसरी है. ऐसे में यूपीए सरकार के बनाए हुए राज्यपालों को बदली तस्वीर को ध्यान में रखते हुए सही फैसला ले लेना चाहिए. वैसे हम किसी भी राज्यपाल को जबरदस्ती नहीं हटाएंगे.
देश पर हिन्दी थोपने के सवाल पर इस पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वो किसी भी राज्य पर हिन्दी नहीं थोपेगी. कोई तमिल या उड़िया है तो वो अपनी सुविधा के लिहाज से भाषा का इस्तेमाल करे.
स्मृति ईरानी के शिक्षा विवाद पर शाहनवाज ने कहा- समृति ईरानी इस वक्त काफी मेहनत कर रही हैं इसलिए मीडिया के सामने आने का उनके पास समय नहीं है. स्मृति ईरानी के हलफनामे का मुद्दा बेवजह विरोधियों ने उठाया क्योंकि उनके पास कोई दूसरा मुद्दा उठाने को था नहीं. ये स्मृति ईरानी से चिढ़ने वालों ने ऐसे बेमानी मुद्दे को हवा दी.
स्मृति ईरानी जैसी उनसे कम तजुर्बा रखने वाली नेता को मंत्री बना दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं चुनाव हार गया, इसलिए मंत्री बनना मेरे लिए वैसे भी मुमकिन नहीं है. स्मृति ईरानी और अरुण जेटली के भी चुनाव हारने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे दोनों राज्यसभा से सांसद हैं. और वैसे भी अरुण जेटली पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हैं. मेरी उनसे कोई तुलना नहीं है. रही बात मुस्लिम होने के नाते मुझे मंत्री बनना चाहिए था तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. कांग्रेस में पांच-पांच मुस्लिम मंत्री हुआ करते थे, लेकिन मुसलमानों की हालत में कोई सुधार ना हो सका. वहीं मोदी जी ने कहा है कि वो देश की सवा सौ करोड़ जनता के विकास के लिए काम करेंगे. वो जाति या धर्म पर कोई भेदभाव नहीं करेंगे. ऐसे में मुसलमानों की तरक्की के लिए मुस्लिम मंत्री बने, जरूरी नहीं है.