संसद के मॉनसून सत्र में कई मुद्दों पर विपक्ष का हंगामा जारी है, इस बीच सरकार की कोशिश रही है कि वह महत्वपूर्ण बिलों को पास करवाए. इसी कड़ी में आज लोकसभा और राज्यसभा में कुछ अहम बिल पेश किए गए. इनमें सबसे महत्वपूर्ण लोकसभा में पेश किए जाने वाला SC/ST एक्ट संशोधन बिल है. सरकार ने सोमवार को इसे पेश किया, अब इस बिल पर चर्चा होगी.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने बिल पेश करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश से इस कानून को कमजोर किया गया. इससे इस कानून का कोई मतलब नहीं रह गया था और इसीलिए हमने कोर्ट में अपील कर पुराने प्रावधानों को फिर से लागू करने की मांग की.
उन्होंने कहा कि कोर्ट में मामला विचाराधीन है इसीलिए देरी को देखते हुए, साथ ही देशव्यापी विरोध की वजह से सरकार SC/ST समाज को न्याय दिलाने के लिए यह बिल लेकर आई है. सरकार ने कानून के महत्व को बनाए रखने के लिए धारा 18 में संशोधन की जरूरत महसूस हुई और कैबिनेट से इस बिल को पारित किया गया.
SC/ST एक्ट के मुद्दे पर दलित समुदाय की नाराजगी झेल रही मोदी सरकार ने इस कदम को उठाया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक्ट में जो बदलाव हुए और फिर दलितों की नाराजगी सामने आई उससे सरकार बैकफुट पर थी. अब सरकार ये कदम उठाकर इसकी भरपाई करना चाहती है. आपको बता दें कि ये वही बिल है जिसके तहत SC/ST एक्ट अपने पुराने मूल स्वरूप में आ जाएगा.
बता दें कि इसी साल 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट 1989) के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा था कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दो अप्रैल को दलित संगठन सड़कों पर उतरे थे. दलित समुदाय ने दो अप्रैल को 'भारत बंद' किया था. केंद्र सरकार को विरोध की आंच में झुलसना पड़ा. देशभर में हुए दलित आंदोलन में कई इलाकों में हिंसा हुई थी, जिसमें एक दर्जन लोगों की मौत हो गई थी.
राज्यसभा में OBC बिल पर चर्चा
SC/ST एक्ट संशोधन बिल के अलावा आज ही राज्यसभा में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग (OBC) आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के संबंध में 123वां संविधान संशोधन विधेयक को भी पेश किया जा सकता है. ये बिल लोकसभा में पारित हो चुका है.
बता दें कि इस विधेयक को लेकर सरकार की तब किरकिरी हो गई थी जब पिछले वर्ष राज्य सभा में इस बिल पर विपक्ष का संशोधन पास हो गया था. लिहाजा सरकार की तरफ से बिल में कुछ संशोधन कर दोबारा पेश करना पड़ा था.
1993 में गठित पिछड़ा वर्ग आयोग अभी तक सिर्फ सामाजिक और शैक्षणिक आधार पर पिछड़ी जातियों को पिछड़े वर्गों की सूची में शामिल करने या पहले से शामिल जातियों को सूची से बाहर करने का काम करता था.