आखिरकार देश ने नम आंखों से शहीद सरबजीत सिंह को आखिरी विदाई दे दी. सरबजीत का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव भिखीविंड में किया गया.सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने उन्हें मुखाग्नि दी.
अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़
सरबजीत सिंह की अंतिम यात्रा में पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, सुखवीर सिंह बादल सरीखे कई बड़े नेता मौजूद थे. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी उनके अंतिम संस्कार में शरीक हुए. सरबजीत का अंतिम संस्कार शुक्रवार दोपहर करीब 2 बजे किया गया. अंतिम संस्कार से पहले सरबजीत का शव आंतिम दर्शन करने के लिए रखा गया. शव को उनके गांव में मौजूद घर से 200 मीटर की दूरी पर बने सीनियर सेकंडरी स्कूल में 10 बजे से 2 बजे तक रखा गया.
विशेष विमान से आया था शव
इससे पहले, पोस्टमार्टम के बाद सरबजीत का शव पंजाब में उनके पैतृक गांव भिखीविंड पहुंचा दिया गया था. गुरुवार शाम को सरबजीत का शव एयर इंडिया के विशेष विमान से अमृतसर पहुंचा, जहां से उसे हेलीकॉप्टर से उनके पैतृक गांव भिखीविंड ले जाया गया. पाकिस्तान में अधिकारियों ने सरबजीत सिंह के शव को भारत लाने से रोक दिया था और क्लियरेंस सर्टिफिकेट और एनओसी देने को कहा था. बाद में औपचारिकता पूरी करने के बाद शव लाया जा सका.
देश के कई हिस्सों में अलर्ट
सरबजीत सिंह की मौत के बाद दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. राज्य सरकार को सतर्क रहने की हिदायत दी गई है. अर्धसैनिक बलों को भी अलर्ट पर रखा गया है.
लाहौर के अस्पताल में ली अंतिम सांस
गौरतलब है कि 6 दिनों तक लाहौर के जिन्ना अस्पताल में कोमा में रहने के बाद सरबजीत सिंह की मौत हो गई थी. सरबजीत पर 26 अप्रैल को कोट लखपत जेल में 6 कैदियों ने हमला किया था और उन्हें कई जगह चोटें लगी थीं. उनके सिर पर ईंटों से हमला किया गया और उनकी गर्दन और धड़ पर तेज हथियारों से वार किए गए थे. उनके बाद से वह अस्पताल में अचेतावस्था में थे.
22 साल से जेल में बंद थे सरबजीत
सरबजीत को साल 1990 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुए कई बम विस्फोटों में कथित रूप से उनकी संलिप्तता के लिए दोषी ठहराया गया था. इस हमले में 14 लोग मारे गए थे. सरबजीत ने पाकिस्तानी जेलों में तकरीबन 22 साल बिताए.
अदालतों तथा पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उनकी दया याचिकाओं को ठुकरा दिया था. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की अगुवाई वाली पिछली सरकार ने साल 2008 में सरबजीत की फांसी पर अनिश्चितकाल के लिए रोक लगा दी थी.
सरबजीत के परिवार का कहना है कि वह गलत शिनाख्त का शिकार है और नशे की हालत में वह गलती से सीमा पार कर गया था. मौत से पहले सरबजीत की हालत तेजी से बिगड़ने के बाद भारत ने पाकिस्तान से सरबजीत को तत्काल रिहा करने का अनुरोध किया था, ताकि उसका भारत में या किसी तीसरे देश में इलाज हो सके. पर होनी को कुछ और ही मंजूर था.