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पुलिस का दावा, 'ऊपरी असम में हिंसा भड़काने में हो सकता है उल्फा का हाथ'

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ 11 और 12 दिसंबर को गुवाहाटी और असम के अन्य कुछ हिस्सों में प्रदर्शन के दौरान हिंसक घटनाएं हुई थीं.

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CAA को लेकर असम के छात्रों का विरोध
CAA को लेकर असम के छात्रों का विरोध

  • हिरासत में लिया गया 3,000 लोगों को, 350 गिरफ्तार, 150 से ज्यादा केस दर्ज
  • CAA के खिलाफ 11 और 12 दिसंबर को गुवाहाटी, असम में हुआ था प्रदर्शन

क्या असम स्थित प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम) ने 11-12 दिसंबर को ऊपरी असम में प्रदर्शन के लिए लोगों को भड़काया? क्या उल्फा ने अपने उग्रवादियों को प्रदर्शनकारियों के बीच भेजकर हिंसा भड़काई? असम के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने ऐसी ही आशंका जताई है.    

बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ 11 और 12 दिसंबर को गुवाहाटी और असम के अन्य कुछ हिस्सों में प्रदर्शन के दौरान हिंसक घटनाएं हुई थीं.

भड़काने थी कुछ गतिविधियां

असम के एडीजीपी (कानून और व्यवस्था) जीपी सिंह ने इंडिया टुडे को बताया, 'ऐसे संकेत हैं कि ऊपरी असम में उल्फा की ओर से भड़काने वाली कुछ गतिविधियां की गईं. जब तक ये साबित न हो जाए, इस बारे में कुछ भी कहना अटकलबाजी होगा. लेकिन उल्फा का कुछ मूवमेंट जरूर देखा गया. भारतीय सेना समेत सुरक्षा बल स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं.'

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एडीजीपी सिंह के मुताबिक ऊपरी असम के तिनसुखिया, डिब्रूगढ़ और शिवसागर में उल्फा की अब भी मजबूत मौजूदगी है. गुवाहाटी के अलावा ये वो क्षेत्र थे जहां बड़े पैमाने पर हिंसा हुई. बीते चार दिन से गुवाहाटी में विरोध बेशक हो रहा है लेकिन सब शांतिपूर्ण है. वहीं अपर असम के कुछ इलाकें अब भी तनावग्रस्त हैं.

हिंसा की साजिश के तीन मुख्य केस दर्ज

जीपी सिंह के मुताबिक पुलिस ने 150 से ज्यादा केस दर्ज किए हैं. पुलिस ने जिन 3,000 लोगों को हिरासत में लिया उनमें से 350 को गिरफ्तार कर लिया गया. हिंसा की साजिश के तीन मुख्य केस दर्ज किए गए हैं. इनमें से एक केस की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपी गई है. बाकी दो की जांच असम पुलिस कर रही है.  

असम के वरिष्ठ मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने मंगलवार को कहा था, 'दिसपुर में जनता भवन (असम सचिवालय) पर घातक हमले में अर्बन नक्सलियों, कट्टर मुस्लिम संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और कांग्रेस पार्टी के कुछ वर्गों का हाथ रहा.'

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