संसद के बजट सत्र में बीते तीन दिनों से लगातार गतिरोध जारी है. इसके चलते एक भी दिन सदन की कार्यवाही सुचारू ढंग से नहीं चल पाई है. कार्यवाही को समय से पहले ही स्थगित करना पड़ रहा है. राज्यसभा में लगातार हंगामे से सभापति वेंकैया नायडू भी परेशान हैं. मीडिया में चर्चा है कि मंगलवार को सदन में प्लेकार्ड दिखाए जाने से सभापति इतने परेशान हो गए हैं कि रात भर सो नहीं पाए. इससे उनकी पत्नी उषा नायडू भी चिंतित हैं.
राज्यसभा में जारी गतिरोध
राज्यसभा में सभापति वेंकैया नायडू की चेतावनी का सांसदों पर कोई असर नहीं हुआ. सदन की कार्यवाही शुरू होते ही टीडीपी, टीआरएस, शिवसेना, कांग्रेस और टीएमसी के सांसद वेल में आकर नारेबाजी करने लगते हैं. सांसदों के हंगामे पर सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि सदन में प्लेकार्ड दिखाना न सिर्फ नियमों के खिलाफ है बल्कि ये लोकतंत्र के लिए भी अच्छी बात नहीं है. उन्होंने कहा कि हम यहां बहस, चर्चा और फैसले लेने के लिए चुनकर आए हैं, हंमामा करके सांसद खुद को ही बेइज्जत कर रहे हैं. मंगलवार को सभापति ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर सभी दलों के नेताओं के साथ बैठक भी की थी.
इसलिए परेशान हैं सभापति
संसद के गलियारों में ऐसी चर्चाएं तेज हैं कि सभापति सांसदों के व्यवहार से न सिर्फ नाराज हैं बल्कि अचंभित भी हैं. हंगामे की वजह से सभापति बीती रात सो भी नहीं पाए और इससे उनकी पत्नी उषा नायडू काफी चितिंत हैं. रातभर सभापति नायडू के कानों में हंगामे की आवाज गूंजती रही. सदन में लगातार प्लेकार्ड दिखाए जाने से वो परेशान हैं.

अपना-अपना विरोध
बजट सत्र के दूसरे हिस्से की शुरुआत से सदन में गतिरोध जारी है. टीडीपी सांसद आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर अड़े हैं और वेल में आकर बीते तीन दिन से पोस्टर और प्लेकार्ड लहरा रहे हैं. वहीं डीएमके और एआईएडीएमके के सांसद भी कावेरी जल विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और बोर्ड के गठन पर हंगामा कर रहे हैं. इसके अलावा कांग्रेस और टीएमसी बैंक घोटाले और नीरव मोदी को लेकर सदन में जोरदार हंगामा कर रही है.
नारेबाजी और हंगामे से संसद ठप
सदन में नारेबाजी और शोर इतना ज्यादा है कि आसन की ओर से कही गई बात सुनना भी मुश्किल हो गया है. राज्यसभा में जोर-जोर से नीरव मोदी वापस लाओ, छोटा मोदी वापस लाओ के नारे लगातार लग रहे हैं. ऐसे में सभापति वेंकैया नायडू की चिंता वाजिब है. सभापति की कोशिश यही है कि सरकार और विपक्ष चर्चा के लिए तैयार हों ताकि सदन को सुचारू ढंग से चलाया जा सके.