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भ्रष्टाचारियों की मदद करने के लिए सरकार RTI को बना रही कमजोरः राहुल गांधी

संसद में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून में संशोधन संबंधी विधेयक को पारित किए जाने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टचारियों की मदद करने के लिए सरकार आरटीआई को कमजोर कर रही है.

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राहुल गांधी
राहुल गांधी

संसद में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून में संशोधन संबंधी विधेयक को पारित किए जाने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टचारियों की मदद करने के लिए सरकार आरटीआई को कमजोर कर रही है.

राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि सरकार भ्रष्ट और चोरी करके भारत से भागने वालों की मदद के लिए आरटीआई को कमजोर कर रही है. यह भी अजीब बात है कि भ्रष्टाचार पर हल्ला मचाने वाली भीड़ अचानक गायब हो गई है.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी राहुल गांधी के बयान का समर्थन किया है. उन्होंने राहुल के समर्थन में ट्वीट किय, एनडीए सरकार ने आरटीआई को कमजोर करके देश का बड़ा नुकसान किया है. इस अधिनियम के कारण यूपीए के तहत, जवाबदेही की संस्कृति विकसित हुई थी, लेकिन एनडीए निश्चित रूप से इसका विरोध करती है. वे कोई जवाब नहीं देना चाहते.

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सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 में मोदी सरकार ने दो खास बदलाव किए हैं. 2018 में भी मोदी सरकार ने आरटीआई (संशोधन) बिल पास कराने की तैयारी की थी, मगर भारी विरोध के कारण सरकार को कदम खींचने पड़े थे. अब लोकसभा में सरकार संशोधन बिल पास कराने में सफल रही है.

1- अब तक सूचना आयुक्त का पांच साल का तय कार्यकाल होता है. अधिकतम उम्र सीमा 65 साल तक है. इसमें जो भी पहले पूरा होगा, उसे माना जाएगा. सरकार अब इस व्यवस्था को बदलना चाहती है. संशोधन बिल में कहा गया है कि सूचना आयुक्तों का कार्यकाल सरकार निर्धारित करेगी. विपक्ष का कहना है कि जब कार्यकाल सरकार तय करेगी तो आयुक्तों की स्वतंत्रता प्रभावित होगी.

2- आरटीआई संशोधन बिल पास होने पर वेतन और भत्ते तय करने का अधिकार भी केंद्र सरकार को मिल जाएगा. जबकि 2005 में बने मूल कानून में यह व्यवस्था है कि केंद्रीय स्तर पर मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा शर्तों में चुनाव आयोग का नियम लागू होगा. यानी उन्हें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की तरह वेतन भत्ते प्राप्त होंगे.

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