नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सरकार की छवि साफ-सुथरी रखने की कोशिशों में जुट गए हैं. मोदी ने भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए अपने मंत्रियों के लिए जरूरी निर्देश जारी किए. नए पीएम ने अपने मंत्रियों को फिजूलखर्ची से बचने की भी सलाह दी है.
बुधवार को मंत्रियों के लिए जारी निर्देशों के तहत सबसे ज्यादा जोर भाई-भतीजावाद रोकने पर दिया गया है. कहा गया है कि मंत्री अपने रिश्तेदारों को मंत्रालय में निजी स्टाफ के तौर पर नहीं रखेंगे. मंत्रियों के संबंधियों को सरकारी कामों के ठेके नहीं दिए जाएंगे. जनता की शिकायतों का तत्काल निपटारा किया जाए.
मोदी ने कहा कि पीएमओ को इस बात की जरूरत है कि आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल के जरिए लोगों की शिकायतों का तत्काल निपटारा किया जाए और मसलों के समाधान और इनकी प्रभावी निगरानी के लिए सिस्टम बने. मोदी ने अपने मंत्रियों से कहा है कि वो बंगलों और दफ्तरों पर ज्यादा खर्च न करें. पीएम ने 'गुड गवर्नेंस' के लिए मिलजुल कर काम करने पर जोर दिया और अधिकारियों से कहा कि वे अपने सुझावों के साथ उनसे मिलने को स्वतंत्र हैं.
अपनी चुनावी रैलियों के दौरान मोदी ने भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार को खत्म करने का आह्वान किया था. मोदी के इस प्रयास की झलक शपथ ग्रहण समारोह के दौरान भी दिखी जब उस समारोह में उनका कोई रिश्तेदार नहीं शामिल हुआ था. हालांकि, बताया गया कि उनकी मां तबीयत खराब होने की वजह से दिल्ली नहीं आ सकीं, वहीं पत्नी जशोदाबेन को तो न्योता ही नहीं भेजा गया था.
मोदी सरकार की तरफ से भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार खत्म करने की कोशिश इसलिए भी की जा रही है क्योंकि इससे पहले केंद्र की मनमोहन सरकार की ऐसे आरोपों से भारी किरकिरी हुई थी. चाहे हो 2 जी घोटाला हो, कोयला घोटाला या फिर रेलवे घोटाला. यूपीए के कार्यकाल में तत्कालीन संचार मंत्री ए राजा और डीएमके सांसद कनिमोझी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. कोयला घोटाले में भी मंत्रियों और उनके रिश्तेदारों पर आरोप लगे. रेलवे रिश्वत कांड में तत्कालीन रेल मंत्री पवन कुमार बंसल को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा जब उनके भांजे को एक अधिकारी से रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.