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अंग दान से लेकर ट्रांसप्लांट तक की व्यवस्था में बड़ी गड़बड़ी

मूलचंद अस्पताल में मेडिसन सलाहकार श्रीकांत शर्मा के अनुसार हार्ट को निकालने के बाद 4-6 घंटे में, लिवर को 12-15 घंटे में, किडनी को 24-48 घंटे में और लंगस को 4-8 घंटे में ट्रांसप्लांट कर देना चाहिए.

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देश मे अंगदान को बढ़ावा देने के लिए साल 2014 में नेशनल आर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (NOTTO) गठन किया गया. इसका उद्देश्य है कि अस्पतालों को समय पर ट्रांसप्लांट के लिए अंग उपलब्ध कराए जाएं. लेकिन पिछले 2 सालों में केवल 12 मामलों में ही अंग एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक पहुंच पाए. अस्पतालों के पास अंग होने के बाद भी वो जरूरतमंदों तक उसे नहीं पहुंचा पा रहा है.

व्यवस्था में कमी की वजह से अंग दान में कमी
दरअसल हर राज्यों में मौजूद अस्पतालों को चाहे वो पब्लिक हो या प्राइवेट उसे ट्रांसप्लांट को लेकर NOTTO को जानकारी देनी होती है. लेकिन ये नहीं हो पा रहा है. देश में लगभग 200 ऐसे अस्पताल हैं जहां आर्गन ट्रांसप्लांट यानी अंग प्रत्यारोपण हो रहा है. पिछले 2 सालों में केवल 96 अस्पताल ही ऐसे हैं जिसने अंगदान और ट्रांसप्लांट संबंधी जानकारी NOTTO तक पहुंचाई.

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भारी संख्या में जरूरतमंद
इसके अलावा भारत में अंगों की डिमांड और सप्लाई के बीच भारी अंतर है. NOTTO से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार देश में हर साल लगभग दो लाख किडनी की जरूरत पड़ती है लेकिन सिर्फ 6 हजार मिल पाती है. इसी तरह 30 हजार लिवर की जरूरत पर केवल 1500 लिवर मिल पाते हैं. हार्ट का तो बुरा हाल है जरूरत 50 हजार के करीब हैं और महज 15 मिल पाते हैं. यही नहीं, नेत्र दान की बात करें तो हर साल लगभग एक लाख कार्निया की डिमांड होती है और पूरी केवल 25 हजार हो पाती है.

समय पर ट्रांसप्लांट नहीं होने से समस्या
हाल ये है कि जो लोग जागरुक हैं और मरते समय अपने परिवार के अंग दान करना चाहते हैं उनके लिए भी अस्पताल या सरकार की तरफ से कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है. हर अंग को कुछ घंटे में ट्रांसप्लांट करना होता है नहीं तो वो बेकार हो जाता है. मूलचंद अस्पताल में मेडिसन सलाहकार श्रीकांत शर्मा के अनुसार हार्ट को निकालने के बाद 4-6 घंटे में, लिवर को 12-15 घंटे में, किडनी को 24-48 घंटे में और लंगस को 4-8 घंटे में ट्रांसप्लांट कर देना चाहिए.

जागरुकता अभियान चलाने की तैयारी
वहीं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. जगदीश प्रसाद ने बताया कि जल्द ही लगभग एक करोड़ लोगों को अंगदान के लिए जागरुक करने के लिए एसएमएस भेजा जाएगा. स्कूलों में इसके लिए विशष कार्यशाला आयोजित होगी. साथ ही अस्पतालों में सीएमई यानी कंटीन्यूअस मेडिकल एजूकेशन के तहत डॉक्टरों को अंगदान पर विशेष जानकारी दी जाएगी. डॉ. प्रसाद के अनुसार देश के हर अस्पताल को अपने यहां ट्रांसप्लांट कोडिनेटर रखने के निर्देश दिए गए हैं जिसका खर्च केंद्र सरकार उठाएगी.

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