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नोटबंदी पर विपक्ष में नहीं बनी सहमति, संसद में मोदी सरकार को घेरेगी कांग्रेस

कांग्रेस आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ना चाहती है. पार्टी देखो और इंतज़ार करो की नीति पर चलना चाहती है. मोदी सरकार के फैसले का वो समर्थन करती है, लेकिन उसकी खामियां और कमज़ोर तैयारी को निशाना बनाकर वो सरकार को घेरने की तैयारी में है.

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सरकार ने बंद किए 1000-500 के पुराने नोट
सरकार ने बंद किए 1000-500 के पुराने नोट

नोटबंदी के मुद्दे पर कांग्रेस फैसले का विरोध करने से तो बच रही है, लेकिन संसद में आम जनता को हो रही परेशानी को मुद्दा बनाकर वो सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है. कांग्रेस अपने नेतृत्व में संसद से राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकालना चाहती थी, लेकिन अपने नेतृत्व में. भला राष्ट्रीय पार्टी एक क्षेत्रीय पार्टी के पीछे कैसे खड़ी होती, इसलिए ममता के मार्च से कांग्रेस दूर रही.

कांग्रेस आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ना चाहती है. पार्टी देखो और इंतज़ार करो की नीति पर चलना चाहती है. मोदी सरकार के फैसले का वो समर्थन करती है, लेकिन उसकी खामियां और कमज़ोर तैयारी को निशाना बनाकर वो सरकार को घेरने की तैयारी में है.

पीएम को आना होगा
मुद्दे को जीवित रखने के लिए पार्टी ने रणनीति बनाई है कि-

1. पीएम को चर्चा में मौजूद रहने और उसका जवाब देने की मांग की जाएगी. इस पर भी सरकार को घेरते हुए हंगामा होगा.

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2. पीएम आए तो ठीक, नहीं आए तो भी नोटबंदी के मुद्दे को बड़ा घोटाला बताकर जेपीसी यानी संयुक्त संसदीय समिति से इसकी जांच कराने की मांग पर अड़ जाएगी.

3. जैसे-जैसे इस मुद्दे पर लोगों की परेशानी बढ़ेगी, वैसे-वैसे कांग्रेस सरकार के खिलाफ अपना रुख कड़ा करती जाएगी.

4. कांग्रेस नोटबंदी के फैसले का विरोध नहीं करेगी, लेकिन सरकार पर इस कदम के जरिए माल्या सरीखे अमीरों को फायदा पहुंचाने का इल्ज़ाम लगाएगी.

5. पार्टी बड़े पैमाने पर अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश दे रही है कि जमीन पर लोगों की चाय, फॉर्म, पानी जैसी छोटी चीजों के जरिए मदद करें.

सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी ने भी अपने सांसदों से दो टूक कह दिया कि नोटबंदी के चलते लोगो को हो रही परेशानी के खिलाफ मज़बूती से लड़ें और सरकार की नौटंकी नहीं चलने दें.

6.सूत्र कहते हैं कि लोकसभा में इस मुद्दे पर कांग्रेस कार्यस्थगन का प्रस्ताव लाएगी.

वेट एंड वॉच पर काम करेगी कांग्रेस
कुल मिलाकर पार्टी की रणनीति सीधी है. मोदी सरकार के फैसले का सीधा विरोध नुकसानदेह है. इसलिए फैसले के खिलाफ कुछ बोलो मत, उसका समर्थन करो, लेकिन आम जनता को हो रही परेशानी को मुद्दा बनाकर विपक्ष का नेतृत्व करो, छोटे दलों के पिछलग्गू न बनो, बल्कि अपने पीछे विपक्ष को एकजुट करो. जनता की परेशानी को देखते रहो और उसी हिसाब से विरोधी सुर का तीखापन बढ़ाते रहो.

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ऐसे में तय है कि कांग्रेस पहले बहस में पीएम की मौजूदगी पर भिड़ेगी, फिर जेपीसी पर अड़ेगी और उसके बाद मार्च और विरोध प्रदर्शन की राजनीति पर उतरेगी यानी ज़्यादा वक़्त तक वो इस मुद्दे को गरम रखेगी.

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