बीजेपी के मातृसंगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अब एक नई थ्योरी दी है. आरएसएस ने कहा है कि मध्यकाल में मुगलों के भारत आने की वजह से देश में दलित, आदिवासी और दूसरे हाशिए के तबकों का जन्म हुआ.
बीजेपी प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री की लिखी तीन किताबों में वरिष्ठ आरएसएस नेताओं ने यह दावा किया गया है. ये किताबें हैं, 'हिंदू चर्मकार जाति, हिंदू खटिक जाति और हिंदू वाल्मीकि जाति.' हाल ही में इन किताबों को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रिलीज किया था.
'आक्रांताओं ने घिनौने काम करने को मजबूर
किया'
इन किताबों की प्रस्तावना आरएसएस के वरिष्ठ नेताओं
सुरेश सोनी, कृष्ण गोपाल और सुरेश 'भैयाजी' जोशी ने
लिखी है. भैयाजी जोशी लिखते हैं, 'हिंदू ग्रंथों के मुताबिक
शूद्र कभी अछूत नहीं थे. मध्यकाल में इस्लामी
अत्याचार के बाद ही अछूत, दलित और भारतीय
मुसलमान जैसे तबके बन गए.'
वह लिखते हैं, 'चंद्रवंशी क्षत्रियों के हिंदू स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने के लिए विदेशी आक्रांताओं ने उन्हें (हिंदुओं को) घिनौने काम करने के लिए मजबूर किया. वे गौहत्या करने लगे. वे गाय की चमड़ी निकालकर उसके शव को वीरान जगहों पर फेंक देते थे. इस तरह विदेशी आक्रांताओं ने हिंदुओं को सजा के तौर पर यह काम देकर चर्म-कर्म करने वाली जाति को जन्म दिया.'
'RSS का दावा, मुगलकाल की है दलितों की
उत्पत्ति'
एक अन्य वरिष्ठ आरएसएस नेता सुरेश सोनी लिखते हैं,
'दलितों की उत्पत्ति तुर्क और मुगलकाल की है. आज जो
वाल्मीकि, सुदर्शन, मजहबी सिख और उनके 624
उपजातियां हैं, वे ब्राह्मणों और क्षत्रियों पर किए गए
अत्याचार की वजह से पैदा हुई हैं.'
तीसरे RSS नेता कृष्ण गोपाल लिखते हैं, 'वैदिक काल में खटिक जाति को ब्राह्मणों में गिना जाता था. यह भी ध्यान देने वाली बात है कि मुस्लिम आक्रांताओं के आने से पहले भारत में सुअर पाले जाने का कोई संदर्भ नहीं मिलता है. हिंदुओं ने धर्मरक्षा के लिए मजबूर होकर यह व्यवसाय अपनाया.'
सबको हिंदू की छतरी तले लाने की कोशिश?
गौरतलब है कि हिंदूवादी संगठन आरएसएस भारतीय
इतिहास को नए सिरे से लिखे जाने को बढ़ावा देता रहा
है, साथ ही, पेशेवरों के लिखे इतिहास को हिंदू विरोधी
बताकर खारिज करता रहा है.
लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद आरएसएस ने पुराणों पर आधारित भारत का इतिहास लिखने का काम शुरू किया है. आरएसएस पर यह भी आरोप लगता रहा है कि बीजेपी सरकार वाले प्रदेशों में वह स्कूल और यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रमों को अपने एजेंडे से प्रभावित करने की कोशिश करता है.
जानकार मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को दलित और पिछड़ों का वोट भी मिला था. एक थ्योरी यह भी है कि बीजेपी और आरएसएस चाहते हैं कि दलितों और पिछड़ों को हिंदू वोट बैंक से अलग न होने दिया जाए.