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मंत्री के दौरे के लिए लगानी पड़ी धारा 144, ताकि लोग विरोध ना करें

क्या आपने कभी ऐसा सुना है कि कोई मंत्री कुपोषण से मरने वाले बच्चों के परिवार वालों से मिलने के लिए जाए, लेकिन इससे पहले उस इलाके में प्रशासन की ओर से धारा 144 लगा दी जाए. सिर्फ इस आशंका पर कि कहीं पीड़ित लोग मंत्री का विरोध ना कर दें.

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पंकजा मुंडे
पंकजा मुंडे

क्या आपने कभी ऐसा सुना है कि कोई मंत्री कुपोषण से मरने वाले बच्चों के परिवार वालों से मिलने के लिए जाए, लेकिन इससे पहले उस इलाके में प्रशासन की ओर से धारा 144 लगा दी जाए. सिर्फ इस आशंका पर कि कहीं पीड़ित लोग मंत्री का विरोध ना कर दें.

महाराष्ट्र के पालघर जिले में प्रशासन ने बुधवार को राज्य की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे के दौरे के दौरान ऐसा ही कदम उठाया. दरअसल, पिछले हफ्ते महाराष्ट्र के जनजातीय मंत्री विष्णु सावरा पीड़ितों से मिलने के लिए पहुंचे थे. लेकिन एक महिला ने सावरा को खूब सुनाते हुए मिलने से इनकार कर दिया था. इस महिला का कहना था कि उसका जब दो साल का बेटा कुपोषण से मरा था तो मंत्री कहां थे. महिला ने ये भी कहा था कि मुंबई से 50 किलोमीटर की दूरी तय करने में मंत्री को 15 दिन लग गए. महिला के समर्थन में और भी कई लोगों ने जुटकर मंत्री का विरोध किया था. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. सावरा का नाम 600 बच्चों की कुपोषण से मौत पर कथित विवादित टिप्पणी के लिए भी सुर्खियों में रहा.

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अब मंत्री पंकजा मुंडे का बुधवार को क्षेत्र में आने का कार्यक्रम बना तो प्रशासन ने कोई जोखिम ना लेते हुए पालघर के मोखाडा तालुका के कोच और कलामवादी गांवों में धारा 144 लगा दी. पंकजा मुंडे ने कुपोषण से मरे दो बच्चों के परिवार वालों से मिलना है. प्रशासन को आशंका है कि कुछ स्थानीय कार्यकर्ता पंकजा मुंडे की यात्रा के दौरान खलल डाल सकते हैं. धारा 144 सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक लागू रहेगी. हालांकि पंकजा मुंडे ने प्रशासन के इस फैसले से पल्ला झाड़ लिया है. पकंजा मुंडे ने कहा कि 'ये फैसला मैंने नहीं स्थानीय प्रशासन ने लिया है. ये पुलिस के तहत आता है. हालांकि मैंने उनसे कहा कि इसकी जरूरत नहीं है. लेकिन पुलिस ने इसे जरूरी बताया. मैं उनके काम में दखल नहीं दे सकती.'

इस मुद्दे पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है. चव्हाण ने कहा, ये हैरत की बात है कि राज्य प्रशासन आदिवासी इलाकों में मंत्री के दौरे से पहले धारा 144 लगा रहा है. लोगों का दुख दर्द सुनने की जगह वो ऐसी असंवेदनशीलता दिखा रहे हैं.

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