भारतीय संस्कृति में ध्यान को ईश्वर तक पहुंचने में मददगार क्रिया माना गया है, लेकिन इसका अलग-अलग व्यक्तियों के शरीर और मन पर खासा सकारात्मक असर भी पड़ता है."/> भारतीय संस्कृति में ध्यान को ईश्वर तक पहुंचने में मददगार क्रिया माना गया है, लेकिन इसका अलग-अलग व्यक्तियों के शरीर और मन पर खासा सकारात्मक असर भी पड़ता है."/> भारतीय संस्कृति में ध्यान को ईश्वर तक पहुंचने में मददगार क्रिया माना गया है, लेकिन इसका अलग-अलग व्यक्तियों के शरीर और मन पर खासा सकारात्मक असर भी पड़ता है."/>
 

दिल को दिमाग से जोड़ने की क्रिया है ध्यान

भारतीय संस्कृति में ध्यान को ईश्वर तक पहुंचने में मददगार क्रिया माना गया है, लेकिन इसका अलग-अलग व्यक्तियों के शरीर और मन पर खासा सकारात्मक असर भी पड़ता है.

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भारतीय संस्कृति में ध्यान को ईश्वर तक पहुंचने में मददगार क्रिया माना गया है, लेकिन इसका अलग-अलग व्यक्तियों के शरीर और मन पर खासा सकारात्मक असर भी पड़ता है.

चिकित्सा क्षेत्र भी अब यह स्वीकार कर चुका है कि ध्यान मानसिक शांति के लिये कारगर है और यह दिल को दिमाग से जोड़ने का काम करता है.

ध्यान के मानसिक शांति से संबंध और इसके महत्व को देखते हुए दुनिया भर के आध्यात्मिक समुदायों ने 31 दिसंबर, 1986 से हर वर्ष वर्ल्ड पीस मेडिटेशन डेमनाने का फैसला किया. यह दिन मनाने का फैसला इस सोच के साथ किया गया कि ध्यान प्रक्रिया का प्रसार करने से दुनिया में शांति कायम करने में मदद मिलेगी.


ध्यान करने की विधि अलग-अलग होती है, लेकिन चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ इसका स्वास्थ्य पर क्या असर देखते हैं
, यह पूछने पर डॉ. राहुल गुलाटी बताते हैं, ‘‘ध्यान से शारीरिक तंत्र दुरुस्त होता है और कई गंभीर बीमारियों में फायदा मिलता है. ध्यान क्रिया दिल को दिमाग से जोड़ने का काम करती है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ध्यान से अवसाद, बेचैनी, श्वसन समस्या, मधुमेह और अनिद्रा से प्रभावित लोगों को फायदा हो सकता है. हालांकि, कम समय में इसके परिणाम नजर नहीं आते. लंबे समय तक ध्यान प्रक्रिया अपनाने के बाद ही उसके नतीजे दिखाई देते हैं.’’

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