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नहीं बचेंगे #MeToo के गुनहगार, मोदी सरकार ने गठित किया मंत्रियों का समूह

#MeToo अभियान के बाद देश में मचे भूचाल पर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया. सरकार ने यौन उत्पीड़न पर बने कानून को मजबूत करने के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स के गठन का ऐलान किया है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

#MeToo अभियान के तहत पिछले दिनों में यौन उत्पीड़न के कई मामले सामने आए हैं. इन्हीं मामलों पर कार्रवाई करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GoM) का गठन किया है. इस समिति की अगुवाई गृहमंत्री राजनाथ सिंह करेंगे.

कमेटी का काम कार्यस्थल पर होने वाले यौन उत्पीड़न के मामलों पर कार्रवाई के लिए कानून और संस्थानों को मजबूत करने के लिए नए दिशा-निर्देश तय करना होगा. इस ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स में राजनाथ सिंह के अलावा निर्मला सीतारमण, मेनका गांधी और नितिन गडकरी रहेंगे.

ये ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स 3 महीने के अंदर ये बताएगा कि आखिर किस तरह महिलाओं के साथ कार्यस्थल पर होने वाले यौन उत्पीड़न के मामलों में कमी लाई जाए. सामने आए मामलों में किस तरह सख्त से सख्त कार्रवाई की जा सके.

सरकार के द्वारा जानकारी दी गई है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक कम्प्लेंट बॉक्स का गठन किया गया है, जिसमें महिलाएं अपनी शिकायत दर्ज कर सकती हैं. एक बार जब शिकायत इस SHE BOX में चली जाएगी, तब सीधे तौर पर ये शिकायत अथॉरिटी के पास जाएगी.

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गौरतलब है कि #MeToo कैंपेन के तहत महिलाओं के खिलाफ कार्यस्थलों पर यौन शोषण के कई मामले सामने आए हैं. इसके कारण देश की राजनीति और फिल्म इंडस्ट्री में भूचाल आ गया है. विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर पर इस अभियान के तहत कई आरोप लगे थे, जिसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

पहले दिया था कमेटी बनाने के प्रस्ताव

बता दें कि इससे पहले भी केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ऐसे मामलों की जांच के लिए एक कमेटी गठित करने का ऐलान किया था, हालांकि बाद में इसमें बदलाव किया गया.

राजनीतिक दलों को भी लिखी थी चिट्ठी

केंद्रीय महिला विकास मंत्री मेनका गांधी ने इस मसले पर राजनीतिक दलों को एक चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में उन्होंने सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों/कार्यकारी अध्यक्षों से अपील की थी कि वह अपनी पार्टी में इंटरनल कमेटी का गठन करें.

जो इस तरह के मामलों की सुनवाई कर सके. ये कमेटी 2013 के सेक्सुअल हैरेसमेंट एक्ट के तहत बनाई जाएगी. मेनका गांधी ने राजनीतिक दलों से इस तरह की कमेटी को राष्ट्रीय और राज्य के लेवल पर बनाने का अनुरोध किया है.

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