केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने बांग्लादेश, म्यांमार और संभवत: नेपाल से माओवादियों के हथियार हासिल करने का रहस्योद्घाटन करते हुए कहा कि माओवादी ‘‘हिंसा रोकें’’ ताकि सरकार उनके साथ वार्ता शुरू कर सके.
विदेशों से माओवादियों को धन मिलने के साक्ष्य नहीं
चिदंबरम ने कहा कि विदेशों से माओवादियों के लिए धन के किसी प्रवाह का कोई साक्ष्य नहीं है. लेकिन, ‘‘निश्चित रूप से, म्यांमार या बांग्लादेश’’ और संभवत: नेपाल के माध्यम से ‘‘विदेश से हथियारों की तस्करी के निश्चित रूप से साक्ष्य हैं जो माओवादियों के पास पहुंचते हैं.’’ उन्होंने नक्सलवाद को भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए उन बुद्धिजीवियों पर प्रहार किया जो नक्सलवादियों की रूमानी तस्वीर पेश करते हैं. चिदंबरम से जब माओवादी नेता किशनजी के इस बयान के बारे में पूछा गया जिसमें उन्होंने कहा था कि माओवादी हथियार नहीं डालेंगे और कार्यकर्ताओं तथा समर्थकों की रिहाई के साथ नक्सल प्रभावित पूरे इलाके से बलों को वापस बुला लेना चाहिए तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं किशनजी का जवाब देने नहीं जा रहा हूं.’’ चिदंबरम ने कहा, ‘‘किशनजी एक ऐसे संगठन का नेता है जो अवैध घोषित है. इसलिए, सरकार के प्रतिनिधि के रूप में उसका जवाब देने की मेरी कोई मंशा नहीं है.’’
माओवादी हिंसा रोकें तब होगी वार्ता
गृहमंत्री ने पुष्टि की कि सरकार वार्ता के लिए पूर्वशर्त के रूप में इसपर जोर नहीं दे रही है कि माओवादी हथियार डालें. चिदंबरम ने कहा, ‘‘मैंने ये शब्द नहीं कहे. इसके अतिरिक्त मैं इतना व्यवहारिक हूं कि जानता हूं कि वे हथियार नहीं डालेंगे. उन्हें हिंसा रोकना है जिसका मतलब है कि उन्हें रेल पटरियों, सड़कों, टेलीफोन टावर, स्कूल की इमारतों, पुलों की बेरोकटोक बरबादी रोकनी है, अपहरण और हफ्ता वसूली रोकनी है.’’ गृहमंत्री ने कहा कि हिंसा रोकी जानी चाहिए और फिर और शुभेच्छु लोगों की मदद से हम कोई रास्ता पा सकते हैं ‘‘जिसमें राज्य सरकार प्राथमिक रूप से उस राज्य में समूहों से वार्ता करे और केन्द्र सरकार इस तरह की वार्ताओं में मदद करे.’’ गृहमंत्री ने कहा कि कुछ दिन पहले जब पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रवि राय और उनके मित्रों ने एक बयान जारी किया था जिसमें कहा गया था कि हिंसा रोकी जाए और वार्ता की शुरुआत की जाए, उन्होंने महसूस किया कि वह उन्हें पत्र लिखें और बताएं कि सरकार की नीति क्या है.
नक्सलियों के हिमायती लोगों की मदद भगवान ही कर सकते हैं
चिदंबरम ने कहा, ‘‘मुझे सावधानी से चुने शब्दों में कहने दें कि अगर कोई समूह हिंसा का परित्याग करता है तो हम उस समूह से जायज शिकायतों पर बात करने के लिए तैयार हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यही बात प्रधानमंत्री ने कहा, यही बात मैंने कही. हमने उन्हें ज्यादा कुछ करने के लिए नहीं कहा. हमने बस यह कहा कि हिंसा रोको और तब हम बात कर सकते हैं.’’ चिदंबरम ने माओवादियों की हिमायत में आवाज बुलंद करने वाले बुद्धिजीवियों पर प्रहार करते हुए इस हफ्ते के आरंभ के माओवादियों के बयान का जिक्र किया कि पश्चिम बंगाल में सांखरैल पुलिस थाने पर हमले के पीछे उनका उद्देश्य हथियार और धन लूटना था. उन्होंने कहा, ‘‘इस बयान के बाद भी अगर लोग नक्सलवादियों की रूमानी तस्वीरें पेश करते हैं तो मैं बस यही कह सकता हूं कि सिर्फ ईश्वर ही उनकी मदद कर सकते हैं.’’